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- बुद्धि विकास मंत्र
ॐ णमो अरिहं तद-तद ताग-वादिनी स्वाहा ।
ज्ञान दर्शन चारित्र तप
विशेष मंत्र
चारित्र तप|
- तनाव मुक्ति मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं भगवते पार्श्वनाथाय हर-हर स्ताहा।
. सुख शांति मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं अ-सि-आ-उ-सा सर्व-विघ्न-रोगोपद्रव विनाशनाय मम ग्रहशान्तिं कुरु-कुरु स्वाहा ।।
- सिद्धचक्र मंत्र
. रोगनिवारक मंत्र
संती कुंथु अरहो, अरिठ्ठनेमी जिणंदपासो य। समरंताणं णिच्चं, सव्वं रोगं पणासेड़।
ॐहीं णमो नाणस्स, ॐहीं णमो दंसणस्स। ॐ हीं णमो चारितस्स, ॐ ह्रीं णमो ततस्स ॥ एयं च सिद्ध-चक्कं-कहियं विज्ञाणुवाय परमत्यं । नाएण जेण सहसा, सिझंति महंतसिद्धीओ॥
- क्रोध/आवेश मुक्ति मंत्र
ॐ शान्ते प्रशान्ते सर्व-क्रोधोपशमनी स्वाहा।
((नमानजस्से
- ग्रह मंत्र - ॐ शनैश्चराय नमः
ॐ ध्मां धमीं ध्मों ध्मः शनिदेवो रविसुतेः। तुष्टमानः ममानन्दं मम शत्रुहरो भव ।
नमस्कार मंत्र ॐ हीं णमो लोए सच साहूणं ॥
तीर्थंकर जाप ॐहीं श्रीं श्री मुनिसुव्रतस्वामिने नमः, मम शनि वाह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा ।
। प्राणायाम ) । दीर्घश्वास प्रेक्षा ।
समवृत्ति श्वास प्रेक्षा )
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दने अहम्
जिज्ञासा जनयज्झानं, ज्ञानयुक्तः प्रसीदति । प्रश्नो नसतया कार्यः, ज्ञानाप्राप्त्यै बुधनः।।
बने अशा जिज्ञासा ज्ञान की जननी है। ज्ञानराज्यात पाणी प्रसन्नता को प्राप्त होता है।
मतः जान-पाति के लिए सभीजनों को तिजामात से प्रश्न करना चाहिया।