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नई दुनिया की सैर
१५२ 'उसकी उत्तर श्रेणी का मैं राजा हूँ। मेरा नाम है रत्नजटी। मेरे पिता का नाम है मणिशंख व मेरी माँ का नाम है गुणवती। मेरे पिता ने इस असारसंसार का त्याग किया है। उन्होंने चरित्रधर्म अंगीकार किया है। नंदीश्वर द्वीप पर वे कठोर तप कर रहे हैं। वे समता के सागर हैं। मैं उन्हीं के दर्शन-वंदन करने के लिए नंदीश्वर द्वीप में गया था। वहाँ से लौटते वक्त अचानक मुझे बहन सुरसुंदरी मिल गयी। पूर्व-जन्म के अनंत-अनंत पुण्य हो तब तेरे जैसी बहन मिले । अब तू बिलकुल निश्चिंत होकर मेरे साथ मेरे नगर में चल । मेरी चार पत्नियाँ हैं। उनमें से हर एक बड़े-बड़े राजा-महाराजा की बेटी हैं। उनमें रूप, रंग व रस का अद्भुत सामंजस्य है।' ____ 'मैं तुम्हारे साथ आऊँ तो सही... पर मेरी एक इच्छा यदि तुम पूर्ण करो तो?'
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