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जिंदगी इम्तिहान लेती है
१९३ विचारों में संवादिता नहीं आती है... तो कितनी गंभीर यह समस्या बनी है-यह सोच सकते हो? व्रत-नियमों के पालन से और तप-त्याग की आराधना से 'उपशमरस' की प्राप्ति होनी ही चाहिए, क्यों नहीं होती है, कहाँ पर त्रुटि है, खोज निकालना!
स्वास्थ्य अच्छा है ना?
हम माँडवी में सभी स्वस्थ हैं, कुशल हैं। पत्र का प्रत्युत्तर मॉडवी लिख सकोगे। माँडवी (कच्छ) १०-३-८०
- प्रियदर्शन
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