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जिंदगी इम्तिहान लेती है
१८१ कच्छ के वागड़-प्रदेश में से गुजर रहे हैं। हालाँकि कच्छ गुजरात का ही एक भाग है, परन्तु अनेक बातों में भिन्नता दिखाई देती है। प्रदेश हरा-भरा है। जिसको कच्छ का छोटा-सा रेगिस्तान कहते हैं, वह भी पानी से भरा हुआ सागर सा दिखाई दिया! इस प्रदेश के छोटे-छोटे गाँवों में जैन संघ का स्नेहआदर और भक्तिभाव दिखायी दिया! हालांकि हम तो पहली बार ही इस प्रदेश में आये हैं, यानी यहाँ के लोगों में अपरिचित हैं, फिर भी लोगों का स्नेह हृदय को आनन्दित कर देता है। तेरा प्रत्युत्तर अब भद्रेश्वर तीर्थ में मिलेगा?
कटारिया २०-१२-७९
- प्रियदर्शन
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