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जिंदगी इम्तिहान लेती है
* जब अक्सर घटनेवाली विनाशलीला को देखते हैं... पढ़ते हैं, जानते हैं.... तब लगता है... ‘सर्वं क्षणिकम्' या 'सर्वं अनित्यम्' का सिद्धांत कितना सच्चा है?
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* करुण घटनाओं को देख - जानकर भी यदि हम अपने जीवन की अनित्यता, अस्थिरता और चंचलता के बारे में नहीं सोचते हैं, तो फिर अपनी जानकारी का मतलब क्या?
प्रिय मुमुक्षु,
• जिन्दगी कितनी क्षणिक है? पल दो पल के बुलबुले-सी जिन्दगी में सुखदुःख की मायाजाल के लिये कितना कुछ अच्छा-बुरा हम करते रहते हैं? * पर्वों का आयोजन परस्पर के प्रेमभाव को प्रवृद्ध करने के लिये, सखाभाव को संवर्धित करने के लिये किया गया है।
पत्र : ३८
धर्मलाभ,
तेरा पत्र मिला था, प्रत्युत्तर लिखने में विलंब हुआ है। कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यों में ज्यादा व्यस्तता रही। हालांकि, तुझे प्रत्युत्तर लिखना वह भी महत्त्वपूर्ण कार्य ही है, परन्तु जब कोई आकस्मिक घटना बनती है तब वही महत्त्वपूर्ण कार्य बन जाता है। दि. १३, अगस्त के दिन समाचार मिले कि मोरबी (सौराष्ट्र-गुजरात) शहर के पास आया हुआ पानी का बाँध टूट गया है और मध्याह्न तीन बजे बाँध का पानी मोरबी शहर में आ गया... सारा शहर तहसनहस हो गया... पानी तो तीन-चार घंटे ही रहा... परन्तु सर्वनाश कर दिया ।
मोरबी के पास मच्छू नदी बहती है। इस नदी के ऊपर दो बाँध बाँधे गये हैं। मोरबी के पास जो बाँध है, वह कच्चा है। पानी के तीव्र आवेग से बाँध टूट गया और मात्र ६ कि.मी. दूरी पर आया हुआ मोरबी शहर २० से २५ फीट पानी के नीचे आ गया। हजारों स्त्री-पुरुष और बच्चे पानी में बह गये । हजारों पशु भी उस प्रचंड बाढ़ में बह गये। हजारों मकान धराशायी हो गये। करीबन एक अरब रूपयों का नुकसान हो गया।
क्या अपने केवलालोक में ऐसा ही सब देखकर भगवान महावीर ने कहा होगा... कि ‘सर्वं अनित्यम् !' भगवान बुद्ध ने संसार की ऐसी ही संहारलीला देखकर कहा होगा 'सर्वं क्षणिकम् !'
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