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जिंदगी इम्तिहान लेती है
१६३ होगी? तेरे स्वयं के आत्मविकास की इच्छा को पूर्ण करने का प्रयत्न करता रह! आंतरिक गुणों का विकास करता चल, आन्तर दोषों का विनाश करता चल! मानवजीवन में इतना काम हो जायेगा तो बहुत बड़ा काम हो गया, ऐसा मानना।
वर्षाकाल है, आत्मसाधना का अच्छा समय है। कुछ विशेष धार्मिकआध्यात्मिक अध्ययन करना। तपश्चर्या तो तू करेगा ही! हृदय को अनाग्रही बनाने की आराधना करना! करेगा न? तेरी चित्त-प्रसन्नता बनी रहे, यही मंगल कामना।
१-७-७९,
डीसा
- प्रियदर्शन
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