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जिंदगी इम्तिहान लेती है
१२९ किसी मित्र के सामने या स्नेही-स्वजन के पास अपने भूतकालीन सुख वैभवों की कथा करने से क्या मिलता है? तू कहेगा कि 'कुछ आश्वासन मिलता है!' ठीक बात है, परंतु वह आश्वासन क्षणिक होता है। वे स्नेहीस्वजन आपके प्रति थोड़ी सी हमदर्दी दिखा कर चले जाएँगे.. फिर वह याद आपको अस्वस्थ बनाए रखेगी। संसार में ज़्यादातर लोगों को यह आदत होती है, दूसरे के सामने अपने पुराने सुखों की कहानी सुनाने की! जो सुख आज उनके पास नहीं है। क्या पता, दुनिया ऐसे लोगों के प्रति इज्जत से देखती है, या करुणा से?
अच्छा तो आपके पास दस लाख रुपये थे? आप सरकारी अफसर थे? आपके ऐसी सुन्दर और स्नेहपूर्ण पत्नी थी? आपके ऐसे अच्छे लड़के थे? ओह! सारी बात बिगड़ गई... सब कुछ चला गया आपका... आप बहुत दुःखी हो गए..।' ऐसे शब्द सुनने से दुःखी मनुष्य को क्षणिक सान्त्वना तो मिलती है, परंतु बाद में मानसिक जलन ही पैदा होती है। सुखों की याद में 'टेम्पररी स्वीटनेस' होती है, परंतु दीर्घकालीन तो कड़वाहट ही होती है। ___ सब सुखों की याद नहीं, कोई एक सुख को याद कर रोने वालों को मैंने देखे हैं! मेरे पास आकर ऐसे लोग रोते हैं! जो सुख भूतकाल में था, आज नहीं है, उसको याद कर रोते हैं। मनुष्य की यह एक कमजोरी है। परंतु ऐसी कमजोरी नहीं है कि जिसको मिटा नहीं सके | इस कमजोरी को मिटा सकते हैं। मिटानी है यह कमजोरी? 'मुझे मेरे पुराने सुख याद नहीं करने हैं, ऐसा संकल्प कर लो।
मनुष्य-मन का ऐसा स्वभाव है कि वह (मन) कुछ न कुछ याद करता रहता है। कुछ न कुछ नई कल्पना करता रहता है, अरमान करता रहता है। कुछ न कुछ फरियादें करता रहता है। करने दो याद और फरियाद! विषय बदल दो! __याद करनी है? परमात्मा की याद करते रहो! सद्गुरुओं को याद करते रहो । तीर्थ स्थानों की याद करते रहो। ज्ञानदृष्टि हो तो अपने अनन्त जन्मों की याद करते रहो! अपनी आत्मा ने भूतकाल में कैसे-कैसे जन्म पाए.. याद करते रहो। ऐसी यादें मनुष्य को प्रसन्न और प्रफुल्लित बनाती हैं। ऐसी यादें मन को शांत और स्वस्थ बनाती हैं।
प्रिय मुमुक्षु! दूसरी एक अपेक्षा से कहूँ तो तुझे तेरे उन भूतकालीन सुखों
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