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जिंदगी इम्तिहान लेती है
११८ प्रेमभंग होगा तभी तेरा प्रेम परमात्मा के प्रति 'भक्ति' बनकर बहेगा। जब तक तुझे संसार से प्रेम करना हो, कर ले। सर्व दिशाओं से सारे प्रेम संबंध खत्म होने पर ही तू परम दिव्य तत्त्व के प्रति अभिमुख बनेगा।
तू ऐसा व्यक्ति चाहता हैं कि जो तुझे समग्रता से चाहे । तेरे हर विचार को समझे । तेरी हर इच्छा के अनुकूल बने । तेरे प्रति कभी भी नाराज न बने । तेरे अलावा इस दुनिया में वह किसी से भी स्नेह न करे। तुझे ही वह परमात्मा माने... भगवान माने और तेरी उपासना करता रहे। उसके मनोमंदिर के सिंहासन पर तेरी ही मूर्ति स्थापित करे। __ मैं तेरी मनःस्थिति का अनुमान लगा सकता हूँ| पर सापेक्ष भावों की तेरी लालसा से मैं सुपरिचित हूँ। प्रिय मुमुक्षु, तू कब तक स्वप्नों की दुनिया में उड़ता रहेगा? प्रेम के स्वप्न मात्र स्वप्न ही हैं, वास्तविकता कुछ भी नहीं। जो वास्तविकता है - उससे प्रेम कर ले । हर परिस्थिति को सहजता से स्वीकार कर ले। किसी से तिरस्कार न कर, नफरत न कर। किसी के प्रति आक्रोश न कर |
जब तू मेरे पास आया था, मैंने तुमसे कहा था, याद है? प्रेम पाने का तत्त्व नहीं है, प्रेम प्रदान करने का तत्त्व है | तू स्वार्थरहित प्रेम का प्रदान करता रहे | जिसको तू तेरे निर्मल हृदय का प्रेम देता है, उससे तू प्रेम की अपेक्षा मत रख । कहा था न मैंने? शायद तू मेरी बात भूल गया है, अन्यथा तेरी शिकायत न होती। प्रेम पाने की लालसा हृदय को जलाती रहती है। तेरा हृदय जल रहा है। जलने में मजा आता हो तो मेरा विरोध नहीं है। क्या कहूँ तुझे? तेरे दिमाग पर प्रेम का भूत सवार हो गया है।
तूने कितने पात्र बदले? अभी तक एक भी पात्र तुझे ऐसा नहीं मिला, जैसा तू चाहता है। चूंकि तू ही वैसा पात्र नहीं बना है न । प्रेम के नाम पर तू अपनी रागदशा को ही पुष्ट कर रहा है। तेरी मोहदशा को ही बढ़ावा दे रहा है। हाँ, मैं प्रेमतत्त्व का विरोधी नहीं हूँ, मेरा विरोध राग से है, मेरा विरोध मोह से है। मैं तो विरागी बनकर प्रेम करने को कहता हूँ | अनासक्त बनकर प्रेम करने को कहता हूँ | हृदय को पहले विरक्त और अनासक्त बनाना अनिवार्य मानता हूँ। वैसा हृदय ही सच्चा प्रेम कर सकता है। जिसका ऐसा विरक्त हृदय हो, उससे प्रेम करने में भी मजा आता है। ऐसे व्यक्ति ही प्रेमतत्त्व को समझते हैं। निरपेक्ष प्रेम ऐसे ही मनुष्य कर सकते हैं। तू एक काम कर : या तो विरक्त बन जा, अनासक्त बन जा । अथवा ऐसे विरक्त एवं अनासक्त मनुष्य को खोज ले और उससे प्रेम कर! यदि तुझे प्रेम करना ही है तो!
अपार राग और अनन्त आसक्ति से भरे लोगों से प्रेम करना भयानक
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