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जिंदगी इम्तिहान लेती है
११४ पालन करेगा। यह वीर्य कायर और दीन-हीन मनुष्य में नहीं हो सकता है। कायर और सुखशील मनुष्य विषम... विकट कर्तव्य से दूर भागता है। पराक्रमी पुरुष कठिन... दुष्कर कार्य को सहर्ष ग्रहण करता है और पूर्ण लगन से उस कार्य को पूरा करने का पुरुषार्थ करता है।
पाँचवाँ वीर्य है, क्षमा-वीर्य। जिस महामानव में यह क्षमावीर्य होता है, उसके प्रति कोई कितना भी आक्रोश करे, अपमान करे, अपकीर्ति करे, फिर भी उनके मन में थोड़ा सा भी क्षोभ नहीं होता है। जरा सी भी ग्लानि नहीं होती है। आक्रोश करने वाले के प्रति, अपमान करने वाले के प्रति रोष नहीं होता है। उसका मन निर्विकारी बना रहता है।
प्रिय मुमुक्षु! मात्र साधु जीवन में ही नहीं, गृहस्थजीवन में भी यदि सफल जीवन व्यतीत करना है तो ये बातें गृहस्थजीवन में भी काफी आवश्यक हैं। इन बातों का अभाव, जीवन में अच्छाइयों का अभाव पैदा कर देता है। हर मनुष्य के जीवन में कुछ प्रतिकूल परिस्थितियाँ आती हैं, उन परिस्थितियों में जो मनुष्य अपने मनोमस्तिष्क को निराकुल बनाये रखता है, अव्यथित बनाये रखता है, वह, मनुष्य की जीवनयात्रा को आनंदपूर्ण बना सकता है। जैसे दूसरे लोगों के आक्रोश होने पर भी अपने मन में विक्षुब्धता नहीं आनी चाहिए वैसे हम कितना भी चमत्कारिक कार्य करें फिर भी अपने में औद्धत्य नहीं आना चाहिए। इसको कहते हैं गाम्भीर्यवीर्य!
अपने अदभुत कार्यों की प्रसिद्धि का मोह नहीं चाहिए! 'मैंने ऐसे-ऐसे अच्छे कार्य किए हैं... मेरे जैसा चमत्कारिक कार्य कोई नहीं कर सकता... इस प्रकार गर्व करना व्यर्थ है। अपने अच्छे कार्यों के आधार पर गर्व करना, औद्धत्य है। गंभीर मनुष्य कभी भी अपने महान कार्यों पर गर्व नहीं करेगा, औद्धत्य नहीं करेगा। गाम्भीर्य एक प्रकार का वीर्य है, यानी पराक्रम है। ___ साधक मनुष्य में गाम्भीर्य होना ही चाहिए। विशिष्ट ज्ञान की प्राप्ति में गाम्भीर्य अनिवार्य माना गया है। श्री स्थूलभद्रजी जैसे कामविजेता महामुनि ने अल्प क्षणों के लिए गाम्भीर्य खो दिया था... अपनी भगिनी-साध्वीओं को अपनी विशिष्ट ज्ञानशक्ति से चकित कर देने की भावना जगी... और सिंह का रूप बनाकर बैठ गए..! 'मेरी भगिनी-साध्वियों को ज्ञात हो कि मैंने कैसी ज्ञान शक्ति... मंत्र शक्ति प्राप्त की है!' इस औद्धत्य से गुरुदेव भद्रबाहु स्वामी ने उनको आगे विशेषज्ञान नहीं दिया!
एक शिष्य ने साधना करते-करते पानी पर चलने की एवं मनचाही वस्तु प्राप्त
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