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जिंदगी इम्तिहान लेती है
१०१ दैनिक जीवनचर्या सुचारु रूप से चल रही है। 'योगोद्वहन' प्रसन्नता से हो रहा है। शारीरिक और मानसिक स्वस्थता है। अभी-अभी कुछ वर्षों से कुदरत ही आन्तर मंथन की ओर प्रेरित कर रही हो, ऐसा लगता है। आन्तर आनंद की यात्रा प्रारम्भ हो रही है! ऐसा लगता है।
तेरी कुशलता चाहता हूँ। डभोई १ मार्च, १९७८
- प्रियदर्शन
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