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जिंदगी इम्तिहान लेती है
सच कहता हूँ, कभी-कभी मन उग्र विद्रोह से बिदकता है। अर्थहीन और शास्त्रों से विपरीत बन्धनों को तोड़ डालने की अति आवश्यकता है। गलत परम्पराओं की पाइप-लाइनें, कि जिनमें गंदा पानी बह रहा है, तोड़ डालनी चाहिए। ___ कुछ बन्धनों को सामाजिक प्रतिष्ठा मिल गई है! जितनी प्रतिष्ठा निर्वाण को नहीं मिली है, उससे ज़्यादा प्रतिष्ठा बंधनों को! समाज ऐसा ही है। समाज में ज़्यादा लोग ज्ञानप्रकाश से रहित हैं। समाज के लोग तत्त्वदृष्टि से सोच ही नहीं सकते! साधक जीवन में तत्त्वदृष्टि का ही चिन्तन चाहिए! यह बड़ा विरोधाभास है। जाने दो इन बातों को । अरण्यरुदन जैसी ये बातें हैं! __ परमात्मा महावीर स्वामी के निर्वाणकल्याणक की अच्छे भाव से आराधना करना । निर्वाण की रात उस परमकृपानिधि परमात्मा के नामस्मरण में व्यतीत करना। निर्वाण की दिव्य ज्योत का दर्शन करना। कम से कम उस रात को तो परमात्मा की स्मृति में... भावसलिल से आर्द्र स्मृति में व्यतीत करना ही। तेरे लिए यह काम सरल भी है। अभी-अभी तेरा मन परमात्मभक्ति में विशेष तल्लीन बना है न! भक्त बन गया है तू! अच्छा है, निष्काम भक्ति का फल अद्भुत होता है। तेरी निष्काम भक्ति तेरे आध्यात्मिक विकास में पूर्णरूपेण सहायक बनेगी। बाह्य अवरोध... रुकावटें भी दूर हो जायेंगी।
आज ज़्यादा नहीं लिखूगा। आजकल एक उपन्यास लिख रहा हूँ। प्राचीन कथावस्तु पर आधारित है। एक ऋषि कन्या के आसपास सारी कहानी फैली है। __ परिवार को धर्मलाभ सूचित करना। तूने 'कार्य सेवा' बताने को लिखा, परन्तु अभी कोई विशेष कार्य नहीं है। ऐसा कार्य उपस्थित होने पर लिलूँगा। यहाँ हम सभी कुशल हैं, प्रसन्न हैं। डभोई १-११-७७
- प्रियदर्शन
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