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________________ २१ आ ग्रन्थमां कविए अटवीनुं वर्णन करतां मरहट्ठयभासा (मराठी-प्राकृत भाषा)ने, कामिनीने तथा अटवीने समान विशेषणोथी ललित पदसंचारवाळी, मदनने प्रकट करनारी तथा सुवर्ण रचनावाळी जणावी छे [पृ. ४] आ प्राकृत ग्रन्थनी प्राचीन ताडपत्रीय प्रति वगेरेना पाठो प्रमाणे संयुक्त वर्णनी पूर्वना इकारने एकार तरीके, अने उकारने ओकार तरीके आ ग्रन्थमा राखवामां आवेल छे । वररुचिना प्राकृतप्रकाश (परि. १, सूत्र १२,२०) मांनां इत् एत् पिण्डसमेषुः' 'उत ओत् तुण्डरूपेषु' सूत्रो, तथा सिद्धहेमचन्द्र शब्दानुशासननां अ. ८, पा. १, सूत्र ८५ अने ११६'इत एद् वा' तथा ओत् संयोगे'आ पद्धतिनुं समर्थन करे छ । इतिहासा प्रेमीओने, अने संशोधकोने आ ग्रन्थमांथी केटली य जाणवा जेवी-नोंधवा जेवी माहिती मळी आवशे । सुट्ट ( सौराष्ट्र), लाड (लाट), गुज्जरत्ता (गूजरात)जे वा अनेक देशो सम्बन्धमां, बावई (द्वारका), भरुयच्छ (भृगुकच्छ) उज्जैणी (उज्जयणी), १६१ ८०, ९१ १९७, २१६ २७४ | लाड जोव्वण जोहार डाल पहाणपोत्ती तुज्झ नत्थि नाणयं नीसरिया पडइ ३०४| विलग्गिऊण ७४ पल्लाण पुट्टलिया पुडओ पुडिया (जोबन) (जुहार) (डाळ) (न्हावानी पोतडी) (तुज) (नथी) (नाj) (नीसर्या) (पडे) (पलाण) (पोटली) (पडो) (पडी, पुडी हिंदी) (पेट) (पोट्ट मराठी) (फाडीने) (बाप) (भाई) (भाउ मराठी) (मामो) (मामो) ८५, ८८ | लड्डुय (लाडवो) २१४ | लहइ (लहे) १५३ (लाड) १४२ लिंडिया (लिंडी) ९० वद्धाविओ (वधाव्यो) ६८ वहू (वहु) २७९ | विट्टलिज्जिहिसि (वटलाईश) ६६ | विट्टलिओ (वटाळ्यो) (वळगीने) वेगलावेसु (वेगळा कराव) संकल (सांकळ) सत्थ (साथ) समारियं संभरियव्वो (संभारवो) सवक्की (सावकी) १२८, २०७ (सासरो) ५८ सासू (सासू) ७९ सियाला (सियाळ) १४८ | सुरह (सोरठ) १५३ | हेट्ट (समायु) ७९ २८२ पोट्ट फाडिऊण बप्प २७८ | ससुरो भाइ २४७ भाउ मामगो माउलग १०, ६१ ६८, १४२ (हेठ) mala-t.pm5 2nd proof
SR No.009624
Book TitleDharmopadeshmala prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysinhsuri, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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