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________________ २० गद्य-पद्यमयी प्राकृत चम्पूकथा जोवा चाहनारने पण आ ग्रन्थ, बहुधा सन्तोष आपी शकशे । आ ग्रन्थना अवगाहनथी महाकाव्यनी महत्तानो पण अनुभव थशे । प्रसङ्गोचित संस्कृत, प्राकृत सुभाषितामृतनुं पान करवा चाहनारने आमांना सुमधुर सुभाषितो अनन्य आनन्द आपशे । आमां उद्धृत जणातां पद्योनी एक सूची अम्हे अहीं परिशिष्ट-१ [प्रस्तुत नवीनसंस्करणमा परिशिष्ट २-३] तरीके दर्शावी छे, ते ते पद्योनी प्राचीनता साथे लोक-प्रियता, शुद्धता अने पाठ-भिन्नता वगेरे विचारवामां उपयोगी थशे । काव्यशास्त्रथी विनोद पामता कविओने, तथा साहित्यरसिक साक्षरोने आ ग्रन्थनी रचना-शैली आनन्दप्रद थवा साथे चातुर्यभर्यु उच्च शिक्षण आपवा समर्थ थशे । भाषाविशारदो, अने भाषाशास्त्रा अभ्यासी संशोधकोने आ ग्रन्थ-द्वारा भाषाविषयक घणुं जाणवा-शीखवा जेवू मळी शके तेम छ । प्राकृत भाषानो संस्कृत भाषा साथे केवो गंभीर सम्बन्ध छ ? तथा देशी भाषाओ पर केटलो महान् उपकार छे ? प्राकृतभाषा- देशीभाषाओ साथे केटलुं साम्य छे ? प्राचीन प्राकृतभाषामांथी केटला विशाल प्रमाणमां शब्दो अने क्रियापदो ए ज रूपमा अथवा सहज फेरफार साथे आपणी वर्तमान प्राकृतभाषाओ (गूजराती, हिन्दी, मराठी, मारवाडी, माळवी, बंगाली आदि भाषाओ)मां अत्यंत प्राचीन समयथी, वंशपरम्पराथी उतरी आवेल छे ? आवो भाषाओनो घनिष्ठ सम्बन्ध समजवानी, तटस्थ अने तुलनात्मक दृष्टिथी विचारवानी तक तेमने आ ग्रन्थथी सारी रीते मळशे. व्युत्पत्ति, भाषा-शुद्धि आदिमां पण आथी अनुकूलता थशे. १२७ १८० १. नमूना तरीके अहीं हजार वर्ष पहेलाना आ प्राकृत ग्रन्थमा वपराएला, वर्तमानमां गूजराती वगेरे भाषामां वपराता थोडा समान शब्दो तरफ अम्हे लक्ष्य खेंचीए छीएप्राकृतशब्द गूजराती पृष्ठ । कोइ (कोई) ६५, ७७, ८४ अज्ज (आज) ७५, ९१ | कसणिऊण (कसणीने) २४० आवेज्जा (आवजे) कोत्थलिया (कोथळी) आहीरी (आहीरण) खोडिया (खोडी) उग्घाडेउ (उघाडो) गुज्जरत्ता (गूजरात) उच्छोडे (छोडे) गुलिया (गोळी) उच्छोडिओ (छोड्यो) (घर) एकल्ला (एकला) १६० चेल्लओ (चेलो) ८५, ११४, २५१ ओल्हवियव्वो (ओल्हववो) छाण (छाण) २७५ ओवराणयं (ओवारj) जगडिज्जंत (जगडता-कलह करता) २५२ कहेयव्वो (कहेवो) जाणिऊण (जाणीने) कवडिया (कोडी) | जुवाणअ (जुवान) ४८, ६५, ८५, २४६, २७५ rmM |घर ८१ २०९ १२६ ९२ १४१ mala-t.pm5 2nd proof
SR No.009624
Book TitleDharmopadeshmala prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysinhsuri, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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