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________________ २२ महुरा (मथुरा), वसंतपुर, सोप्पारअ (नाला-सोपारा), हत्थकप्प (हाथप) आदि अनेक नगर-नगरीओना सम्बन्धमां, सत्तुंजय (शत्रुजय ) तीर्थ, उज्जत (उज्जयन्त-गिरनार) जे वा अनेक पर्वत-प्रदेशोना सम्बन्धमां करेला प्रासङ्गिक उल्लेखो इतिहासमां उपयोगी थशे । आइय( आदिकर मंडल ए ज पाछळथी प्रसिद्ध थयेल आइच्च( आदित्य मंडल, तथा कण्णकुज्ज (कन्नोज), पाडलिपुत्त( पाटलिपुत्र-पटना), पभास (प्रभास), पयाग (प्रयाग)तीर्थ आदि अनेक स्थलोनी उत्पत्तिनो इतिहास आमांथी जाणवा मळशे । प्राचीन तीर्थो, मन्दिरो, स्तूपो, जलकान्त मणि, धारा-जलयन्त्र, यन्त्रमय कपोत, गरुड, संरोहिणी मूली, शतसहस्र(लक्ष)पाक तेल, वगेरे सम्बन्धमां जाणवा योग्य अनेक हकीकतो जणाशे. श्वेताम्बर जैन साधुओ द्वारा आशीर्वाद तरीके उच्चरातो धर्मलाभ शब्द केटलो प्राचीन छ ? ते आमांना उल्लेखथी विचारी शकाशे । आ ग्रन्थमां आवेलां इतिहासोपयोगी विशिष्ट नामोनी एक सूची अम्हे अहीं परिशिष्ट (५) तरीके दर्शावी छे, ते, ते विषयना जिज्ञासु संशोधकोने अत्यन्त उपयोगी थशे, एवी आशा छे ।। दान, शील, तप, भाव, अहिंसा, सत्य, संयम, शम, दम जेवा सर्वमान्य धार्मिक सदुपदेशोथी, अने तेने पुष्ट करनार, आराधन-विराधनथी शुभाशुभ फल दर्शावनार सुवर्णमय सरस सुवासित कथा-पुष्पोथी गुंथायेली आ मनोहर माला धर्मोपदेशक सज्जनोना कण्ठने सुशोभित करशे । धर्मोपदेश माटे आवा श्रेष्ठ साधननो सदुपयोग करवा तेओ प्रेराशे, पर्षदाओमां आना व्याख्यान आदिथी तेओ धर्मप्रचार करी सुयश मेळवी शकशे, धर्मोपदेशना कार्यमां आथी सफळता मेळवशे, एवो अम्हने विश्वास छ। धर्मोपदेश श्रवण करनाराओने आथी धर्मनुं ज्ञान थशे, धर्मप्रेम वधशे, धर्म अने अधर्मनां फळो समजाशे, धर्ममार्गथी च्युत थता लोको धर्ममार्गमां स्थिर थशे, तेमने कर्तव्यो, अने अकर्तव्यो, विवेक-ज्ञान थशे, उन्मार्गमांथी तेओ सन्मार्ग तरफ वळशे । श्रोताओ आ ग्रन्थना व्याख्यान्त्रवणथी परम आह्लाद साथे पुरुषार्थोनुं परम ज्ञान मेळवशे । धार्मिक तत्त्वज्ञान साथे अनेक प्रकारचें सामाजिक, व्यावहारिक आवश्यक उपयोगी ज्ञान पण मेळवी शकशे, एवी आ ग्रन्थनी सङ्कलना छे । भाषान्तरप्रेमीओ आ ग्रन्थना भाषान्तरो माटे प्रेराशे, एम धार अयोग्य नथी । अलंकारशास्त्रा निषणातोने, अने विचक्षण अभ्यासीओने आमांना शब्दालंकारोथी अने अर्थालंकारोथी अलंकृत प्रसङ्गोचित विविध वर्णनो असाधारण विनोद साथे विविध चातुर्य आपशे । प्रेमपत्रिकाओ, अन्तरालाप-मध्योत्तरवाळा, बहिरालापवाळा, प्रश्नोत्तरो, संस्कृत, प्राकृत प्रश्नोना समसंस्कृतथी प्रत्युत्तर, पादपूति, वक्रोक्ति, व्याजोक्ति, श्लेषोक्ति, गूढोक्ति, अन्योक्ति, छेकोक्ति आदिनुं चातुर्य पण आ ग्रन्थमांथी मळी रहेशे । mala-t.pm5 2nd proof
SR No.009624
Book TitleDharmopadeshmala prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysinhsuri, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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