SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अने आध्यात्मिक उन्नति करनारा गुणोनो बहु ज सरल अने सुबोध रीते परंतु असकारक अने आदेशात्मकरूपे, सुन्दर उपदेश आपवामां आव्यो छे. प्रायः नवदीक्षित साधु-साध्वीओ अने स्थूलव्रतधारी श्रावक-श्राविकाओ माटे ए प्रकारणने कंठस्थ करवानी अथवा तो नियमित रीते एनुं वाचन करवानी परंपरा बहु जूना कालथी जैन समाजमां चाली आवे छे. ग्रंथकारे पोते पण एना अन्त भागमां कडं छे के "आ उपदेशमालाने जे मनुष्य भणे छे, सांभळे छे अथवा हृदयमां धारण करे छे ते मनुष्य, पोताना आत्महितने जाणी शके छे अने ते जाणीने सुखदायक (मार्ग) आचरी शके छे." उवएसमालमेयं जो पढइ सुणइ कुणइ वि हियए । सो जाणइ अप्पहियं, नाऊण सहुं समायरइ ।५३६॥ तेम ज ए ग्रन्थना महत्त्वनुं वर्णन करतां ग्रंथकार पोते ज कहे छे के-आ उपदेशमाला रूप ग्रन्थकृति, एना वक्ता अने श्रोतावर्गने शान्ति करनारी, वृद्धि करनारी, कल्याण करनारी, सुमंगल करनारी, तेम ज निर्वाण फल आपनारी छे. संतिकरी वुड्किरी कल्लाणकरी सुमंगलकरी य । होइ कहगस्स परिसाए तह य निव्वाणफलदाई ।५४१॥ आ रीते ग्रन्थकारे पोते ज ए प्रकरण ग्रन्थना पठन तेम ज श्रवण, विशिष्ट माहात्म्य बतावेलुं होवाथी, तेम ज एमां निबद्ध करेला विविध प्रकारना प्रकीर्ण उपदेशात्मक वचनोनी हृदयंगमताथी, श्रद्धाशील मुमुक्षु जनने ए ग्रन्थ बहु ज हितोपदेशक अने सुमार्गप्रेरक लागतो रह्यो छे अने तेथी ज एना पठन-पाठननो सतत प्रचार चाल्यो आव्यो छे. ए ग्रन्थनी आवी सुप्रसिद्धि अने समादरता जोई, एना अनुकरणरूपे ए पछीना अन्यान्य आचार्योए पण, ए शैलीना अने ए ज प्रकारना, केटलाय नवा नवा उपदेशात्मक प्रकरण ग्रन्थोनी रचना करी छे, जे मां हरिभद्रसूरम "उपदेशपदप्रकरण', जयसिंहसूसी प्रस्तुत 'धर्मोपदेशमाला',तेम ज मलधारी हेमचन्द्रसूति त 'पुष्पमाला' आदि अनेक कृतिओ गणावी शकाय तेम छे. जयसिंहसूएि आ कृ ति मुख्यपणे धर्मदासगणीनी उक्त उपदेशमालाना अनुकरणरूपे ज बनावी छे एनी रचना जोतां स्पष्ट जणाय छे. कारण के एमां सूचवेला उपदेशो अने तेमनी पुष्टिमाटे उल्लेखेलां कथानकोनो मोटो भाग, एउपदेशमालमा ज आधारे ग्रथित करवामां आव्यो छे . उपदेशमालमी उपदेशात्मक उक्तिओ वधारे विस्तृत अने वधारे वैविध्य भरेली छे त्यारे प्रस्तुत धर्मोपदेशमालमी रचना संक्षिप्त अने सूचनात्मक रूप छे. ग्रन्थकारनो उद्देश उपदेशात्मक कथननी उक्तिओ करतां तदुपदेशसूचक कथानकोनी नामावलि सूचववानो विशेष देखाय छे, अने तेथी तेमणे ९८ गाथाना आ लघु प्रकरणमां, भिन्न भिन्न उपदेशोनी सूचक १५८ जेटली कथाओनी mala-t.pm5 2nd proof
SR No.009624
Book TitleDharmopadeshmala prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysinhsuri, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy