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________________ ४७ वाणी, व्यवहार में... वह फल पकेगा, उसका अभी बीज बोया है। इसलिए कॉजेज़ कहलाते हैं। यानी कॉजेज नहीं पड़ें, उसके लिए मन से हो गया हो तो मन से प्रतिक्रमण करना चाहिए। ९. विग्रह, पति-पत्नी में मनुष्य होकर प्राप्त संसार में दखल नहीं करे, तो संसार इतना सरल और सीधा चलता रहेगा। पर यह प्राप्त संसार में दख़ल ही करता रहता है। जागा तब से ही दखल। और पत्नी भी जागे तब से दखल ही करती रहती है, कि इस बच्चे को जरा झूला भी नहीं झुलाते। देखो यह कब से रो रहा है ! तब वापिस पति कहेगा, 'तेरे पेट में था तब तक क्या मैं उसे झूला डालने आता था! तेरे पेट में से बाहर निकला तो तुझे रखना है', कहेगा। वह सीधी न रहे तो क्या करे फिर? वाणी, व्यवहार में... दादाश्री : ऐसे वाणी इतनी मीठी बोलते हैं कि कहने से पहले ही वह समझ जाए। प्रश्नकर्ता : यह कठोर वाणी-कर्कश वाणी हो, उसे क्या करें? दादाश्री : कर्कश वाणी, वही दख़ल होती है! कर्कश वाणी हो तो उसमें इतने शब्द जोड़ने पड़ेंगे कि 'मैं विनती करता हूँ, इतना करना।' 'मैं विनती...' इतना शब्द जोड़कर कहो। प्रश्नकर्ता : अब हम ऐसा कहें कि, 'ए..य.., यह थाली यहाँ से उठा।' और हम धीरे से कहें कि 'तू यह थाली यहाँ से उठा ले न।' अर्थात् वह जो बोलने का प्रेशर है.... दादाश्री : वह दख़ल नहीं कहलाता। अब उसके ऊपर रौब मारो तो दख़ल कहलाएगा। प्रश्नकर्ता : यानी धीरे से बोलना है। दादाश्री : नहीं, वह तो धीरे से बोलो तो चलेगा। पर वह तो धीरे से बोले तो भी दखल कर देता है। इसलिए आपको कहना है, 'मैं विनती करता हूँ, तू इतना करना न!' उसमें शब्द जोड़ना पड़ेगा। प्रश्नकर्ता : कईबार घर में बड़ी लड़ाई हो जाती है, तो क्या करें? दादाश्री : समझदार व्यक्ति हो न तो लाख रुपये दें, तो भी झगड़ा नहीं करे। और यह तो बिना पैसे के झगड़ा करते हैं। तो वे अनाड़ी नहीं तो क्या है? भगवान महावीर को कर्म खपाने के लिए साठ मील चलकर अनाड़ी क्षेत्र में जाना पड़ा था। और आज के लोग पुण्यशाली हैं कि घर बैठे अनाड़ी क्षेत्र है! कैसे धन्यभाग्य! यह तो अत्यंत लाभदायी है, कर्म खपाने के लिए, यदि सीधा रहे तो। घर में सामनेवाला पूछे, सलाह माँगे, तब ही जवाब देना चाहिए। बिना पूछे सलाह देने बैठ जाओ और उसे भगवान ने अहंकार कहा है। पति पूछे कि, 'ये प्याले कहाँ रखने हैं?' तो पत्नी जवाब देती है कि, प्रश्नकर्ता : दख़ल नहीं करो कहा है आपने, तो वह सब जैसे हो वैसे पड़े रहने देना चाहिए? घर में बहुत लोग हों, तो भी? दादाश्री : पड़े नहीं रखना चाहिए और दखल भी नहीं करनी चाहिए। प्रश्नकर्ता : ऐसा किस तरह से होगा? दादाश्री: भला दखल तो होती होगी? दखल तो अहंकार का पागलपन कहलाता है! प्रश्नकर्ता : कोई कार्य हो तो कह सकते हैं घर में कि इतना करना, इस तरह? दादाश्री : पर कहने-कहने में फर्क होता है। प्रश्नकर्ता : बिना इमोशन के कहना है। इमोशनल नहीं हों और कहें ऐसा?
SR No.009606
Book TitleVaani Vyvahaar Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages45
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size33 KB
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