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प्रतिक्रमण
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दादाश्री : वह तो होगा ही। वह आपको नहीं देखना है। होता रहता है वह पाप नहीं देखना यह नहीं होना चाहिए ऐसा आपको तय करने का, निश्चय करना चाहिए। यह धंधा क्यों मिला? दूसरा अच्छा मिला होता तो हम ऐसा नहीं करते। पहले पश्चाताप नहीं होता। यह जाना नहीं हो न वहाँ तक पश्चाताप नहीं होता। खुश होकर पौधे उखाड़ फेंके। आपको समझ में बैठता है? हमारे कहने के मुताबिक करना। आपकी सारी जिम्मेदारी हमारी पौधा उखाड़ फेंके उसमें हर्ज नहीं है, पश्चाताप होना चाहिए कि यह मेरे हिस्से में कहाँ से आया?
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खेतीबाड़ी में जीव-जन्तु मरेंगे उसका दोष तो लगेगा। इसलिए खेतीबाड़ीवालों को प्रतिदिन पाँच-दस मिनट भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि ये दोष हुए उसकी माफ़ी चाहता हूँ। किसान से कहते हैं कि तू यह धंधा करता है उसमें जीव मरते हैं, उसका इस तरह प्रतिक्रमण करना। तू जो गलत करता है उसमें मुझे हर्ज नहीं है परंतु तू उसका इस तरह प्रतिक्रमण कर ।
प्रश्नकर्ता: आपने वह वाक्य कहा था कि किसी जीवमात्र को मन, वचन, काया से दुःख न हो। इतना सबेरे बोले तो चलेगा या नहीं चलेगा?
दादाश्री : वह पाँच बार बोले तो चलेगा, परंतु यह इस तरह बोलना होगा कि पैसे गिनते समय जैसी स्थिति हो, उस तरह रुपये गिनते समय जैसी चित्त की अवस्था हो, जैसा अंतःकरण हो ऐसा बोलते समय रखना पड़ेगा।
१६. दुःखदायी वैर की वसूली....
प्रश्नकर्ता: हम प्रतिक्रमण न करें तो फिर किसी समय सामनेवाले के साथ चुकता करने जाना पड़ेगा न?
दादाश्री : नहीं, उसे चुकता नहीं करना है। हम बंधन में रहे। सामनेवाले से हमें कुछ लेना-देना नहीं।
प्रश्नकर्ता: किंतु हमें चुकता करना पड़ेगा न?
प्रतिक्रमण
दादाश्री : इससे हम ही बँधे हुए हैं। इसलिए हमें प्रतिक्रमण करना चाहिए। प्रतिक्रमण से मिट जाये। इसलिए तो आपको हथियार दिया है न, प्रतिक्रमण !
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प्रश्नकर्ता: हम प्रतिक्रमण करें और बैर छोड़ दें परंतु सामनेवाला बैर रखे तो ?
दादाश्री : भगवान महावीर पर कितने सारे लोग राग करते थे और द्वेष रखते थे, उसमें महावीर को क्या ? वीतराग को कुछ छूएगा नहीं । वीतराग माने शरीर पर बिना तेल लगाये बाहर घूमते हैं और अन्य सभी तेल लगाकर घूमते हैं। इसलिए तेलवालों को सब धूल लगेगी।
प्रश्नकर्ता: इन दो व्यक्तियों के बीच जो बैर बंधता है, राग-द्वेष होता है, अब उसमें मैं खुद प्रतिक्रमण करके मुक्त हो जाऊँ, परंतु दूसरा व्यक्ति बैर नहीं छोड़ता, तो वह फिर अगले जनम में आकर उस रागद्वेष का हिसाब तो पूरा करेगा न? क्योंकि उसने तो अपना बैर छोड़ा नहीं है न?
दादाश्री : प्रतिक्रमण से उसका बैर कम हो जायेगा। एक बार में प्याज़ की एक परत जायेगी, दूसरी परत, जितनी परतें होंगी उतनी जायेंगी। आपको समझ में आया?
प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण करे उसी समय ही अतिक्रमण हो जाये तो क्या करे?
दादाश्री : फिर थोड़ी देर के बाद करना। हम आतिशबाज़ी बुझाने गये तब एक पटाखा और छूटा तो हम फिर से जायें। फिर थोड़ी देर के बाद फिर से बुझाना, ऐसे तो पटाखे छूटते ही रहेंगे। उसीका नाम संसार ।
वह उलटा करे, अपमान करे तब भी हम रक्षा करेंगे। एक भाई मेरे साथ घृष्टतापूर्वक पेश आये थे। मैंने सभी से कहा, एक अक्षर भी उलटा मत सोचना। और उलटा विचार आये तो प्रतिक्रमण करना। वे अच्छे आदमी हैं किंतु वे लोग किसके अधीन हैं? कषायों के अधीन हैं। वे आत्मा के