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बच्चों को किस प्रकार पढ़ाना-लिखाना चाहिए और गढ़ना चाहिए?
बच्चे शादी करने योग्य हों, तब बड़ा प्रश्न आकर खड़ा होता है, पात्र कौन हो और किस प्रकार पसंद करें? दादाश्री लडके और लड़कियों को बहत ही सुन्दर मार्गदर्शन देते हैं, जिससे माता-पिता और बच्चों की सहमति से पात्र का चुनाव हो।
___ लड़कियों को ससुराल में सबको प्रेम से वश में करने की सुन्दर चाबियाँ दादाश्री ने प्रदान की हैं। माता-पिता की सेवा, विनय से उनके आशीष प्राप्त करने का महत्व क्या है और वह कैसे प्राप्त हो?
अंत में, वृद्धों की व्यथा और उसे हल करने के लिए वृद्धाश्रम की आवश्यकता और आध्यात्मिक जीवन कैसे जीएँ, इसका सुन्दर मार्गदर्शन यहाँ संकलित हुआ है। जिसे पढ़कर समझने से माता-पिता और बच्चों दोनों का व्यवहार आदर्श होगा।
- डॉ. नीरुबहन अमीन
सूचिपृष्ठ
पेज नं. माता-पिता का बच्चों के प्रति व्यवहार (पूर्वार्ध) १. सिंचन, संस्कार के... २. फर्ज़ के गीत क्या गाना? ३. नहीं झगड़ते, बच्चों की उपस्थिति में... ४. अनसर्टिफाइड फादर्स एण्ड मदर्स ५. समझाने से सुधरें, बच्चे ६. प्रेम से सुधारो नन्हे मुन्नों को ७. 'विपरीतता ऐसे छूट जाय' ८. नयी जनरेशन, हेल्दी माईन्डवाली ९. माता-पिता की शिकायतें १०. शंका के शूल ११. वसीहत में बच्चों को कितना? १२. मोह के मार से मरे अनेकों बार १३. भला हुआ जो न बंधी जंजाल... १४. नाता, रिलेटिव या रिअल? १५. वह है लेन-देन, नाता नहीं
बच्चों का माँ-बाप के प्रति व्यवहार (उतरार्ध) १६. 'टीनेजर्स' (युवा उम्रवालों) के साथ 'दादाश्री' १७. पत्नी का चुनाव १८. पति का चयन १९. संसार में सुख की साधना, सेवा से