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माता-पिता और बच्चों का व्यवहार
माता-पिता का बच्चों के प्रति व्यवहार ( पूर्वार्ध)
१. सिंचन, संस्कार के...
प्रश्नकर्ता : यहाँ अमरीका में पैसा है, लेकिन संस्कार नहीं हैं और आसपास का वातावरण ही ऐसा है, तो इसके लिए क्या करें?
दादाश्री : पहले तो माता-पिता को संस्कारी होना चाहिए। फिर बच्चे बाहर जाएँगे ही नहीं। माता-पिता ऐसे हों, कि उनका प्रेम देखकर बच्चे वहाँ से दूर ही न जाएँ। माता-पिता को ऐसा प्रेममय होना चाहिए। बच्चों को अगर सुधारना है तो तुम जिम्मेदार बनो। बच्चों के साथ तुम फर्ज से बंधे हुए हो।
हमें बच्चों को उच्च स्तर के संस्कार देने चाहिए। अमरीका में कई लोग कहते हैं कि हमारे बच्चे मांसाहार करते हैं और ऐसा बहुत कुछ करते हैं। तब मैंने उनसे पूछा, 'तुम मांसाहार करते हो?' तो बोले, 'हाँ, हम करते हैं।' तब मैंने कहा, 'तब तो बच्चे करेंगे ही।' हमारे ही संस्कार! और अगर हम नहीं करते हों तो भी वे करेंगे, मगर दूसरी जगह पर जा कर। अगर हम उन्हें संस्कारी बनाना चाहते हैं तो हमें अपना फर्ज नहीं चूकना चाहिए।
अब बच्चों का हमें ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा-वैसा, यहाँ का खाना न खाएँ। और यदि हम खाते हों तो अब यह ज्ञान प्राप्त होने के बाद हमें सब बंद कर देना चाहिए। अतः वे हमारे जैसे संस्कार देखेंगे वैसा करेंगे। पहले हमारे माता-पिता संस्कारी क्यों कहलाते थे? वे बहुत
माता-पिता और बच्चों का व्यवहार नियमवाले थे और तब उनमें संयम था। और आजकल के माता-पिता तो बिना संयमवाले होते हैं।
प्रश्नकर्ता : बच्चें बड़े हों तब हमें उन्हें धर्म का ज्ञान किस तरह देना चाहिए?
दादाश्री : हम धर्म स्वरूप हो जाएँ, तो वे भी हो जाएँगे। हमारे जैसे गुण होंगे, बच्चे वैसा ही सीखेंगे। इसलिए हमें ही धर्मिष्ठ हो जाना है। हमें देख-देख कर सीखेंगे। यदि हम सिगरेट पीते होंगे तो वे भी सिगरेट पीना सीखेंगे। हम शराब पीते होंगे तो वे भी शराब पीना सीखेंगे। माँस खाते होंगे तो माँस खाना सीखेंगे। जो हम करते होंगे वैसा ही वे सीखेंगे। वे सोचेंगे कि हम इनसे भी बढ़कर करें।
प्रश्नकर्ता : अच्छे स्कूल में पढ़ाने से अच्छे संस्कार नहीं आते?
दादाश्री : लेकिन, वे सब संस्कार नहीं हैं। बच्चों के संस्कार तो माता-पिता के सिवा किसी और से नहीं आते। संस्कार माता-पिता और गुरु के ही होते है और थोड़े-बहुत संस्कार मित्रों तथा आसपास के लोगों से मिलते है। सबसे अधिक संस्कार माता-पिता से मिलते है। माता-पिता संस्कारी हों, तो बच्चे भी संस्कारी होते हैं वरना संस्कारी नहीं होते।
प्रश्नकर्ता : हम बच्चों को पढ़ाई के लिए 'इन्डिया' भेज दें, तो हम अपनी जिम्मेदारी नहीं चूक जाते?
दादाश्री : नहीं, हम नहीं चूकते। हम उनका सब खर्च दे दें। वहाँ पर तो ऐसे स्कूल हैं कि जहाँ हिन्दुस्तान के लोग भी अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजते हैं। खाना-पीना वहाँ और रहने का भी वहाँ, ऐसे बहुत से अच्छे स्कूल हैं।
प्रश्नकर्ता : दादा, घर-संसार शांतिपूर्ण रहे और अंतरात्मा का भी जतन हो ऐसा कर दीजिए।
दादाश्री : घर-संसार शांतिपूर्ण रहे इतना ही नहीं, बच्चे भी हमें देखकर ज्यादा संस्कारी हों, ऐसा हो सकता है। यह तो माता-पिता का