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________________ मानव धर्म मानव धर्म समझ होती है। ज्ञानी, वे भी मनुष्य ही हैं न! ज्ञानी की मानवता, अज्ञानी की मानवता, पापी की मानवता, पुण्यशाली की मानवता, सभी की मानवता अलग-अलग होती है। मनुष्य एक ही प्रकार के हैं फिर भी! ज्ञानी पुरुष की मानवता अलग प्रकार की होती है और अज्ञानी की मानवता अलग प्रकार की होती है। मानवता सभी में होती है, अज्ञानी में भी मानवता होती है। जो अनडिवेलप (अविकसित) हों उसकी भी मानवता, किन्तु वह मानवता अलग प्रकार की होती है, वह अनडिवेलप और यह डिवेलप। और पापी की मानवता अर्थात्, हमें यदि सामने चोर मिले, तब उसकी मानवता कैसी कहेगा? 'खड़े रहो।' हम समझ जाएँ कि यही उसकी मानवता है। उसकी मानवता हमने देख ली न? वह कहे, 'दे दो।' तब हम कहें, 'ये ले भाई, जल्दी से।' हमें तू मिला, वह तेरा पुण्य है न! मानवता के विरुद्ध है। कुछ भी बोलने से यदि सामनेवाले को ज़रा-सा भी दु:ख हो, वह मानव धर्म के विरुद्ध है। आपको उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। ऐसे चूक गए मानव धर्म मानव धर्म मुख्य वस्तु है। मानव धर्म एक समान नहीं होते, क्योंकि (मानव धर्म जिसे 'करनी' कहा जाता है। और इसी वजह से,) एक यूरोपीयन आपके प्रति मानव धर्म निभाए और आप उसके साथ मानव धर्म निभाए तो दोनों में बड़ा फर्क होगा। क्योंकि इसके पीछे उसकी भावना क्या है और आपकी भावना क्या है? क्योंकि आप डेवलप्ड हैं, अध्यात्म जहाँ 'डिवेलॅप' हुआ है उस देश के हैं। इसलिए हमारे संस्कार बहुत उच्च प्रकार के हैं। यदि मानव धर्म में आया हो, तो हमारे संस्कार तो इतने ऊँचे हैं कि उसकी सीमा नहीं है। किन्तु लोभ और लालच के कारण ये लोग मानव धर्म चूक गए हैं। हमारे यहाँ क्रोध-मान-माया-लोभ 'फुल्ली डिवेलप' (पूर्ण विकसित) होते हैं। इसलिए यहाँ के लोग यह मानव धर्म चूक गए हैं मगर मोक्ष के अधिकारी अवश्य हैं। क्योंकि यहाँ डिवेलप हुआ तब से ही वह मोक्ष का अधिकारी हो गया। वे लोग मोक्ष के अधिकारी नहीं कहलाते। वे धर्म के अधिकारी, मगर मोक्ष के अधिकारी नहीं हैं। मुंबई में एक घबराहटवाला आदमी, घबराहटवाला, वह मुझसे कहने लगा, 'अब तो टैक्सी में नहीं घूम सकते।' मैंने पूछा, 'क्या हुआ भाई? इतनी सारी टैक्सियाँ हैं और नहीं घूम सकते, ऐसा क्या हुआ? कोई नया सरकारी कानून आया है क्या?' तब वह बोला, 'नहीं, टैक्सीवाले लूट लेते हैं। टैक्सी में मार-ठोककर लूट लेते हैं।' 'अरे, ऐसी नासमझी की बातें आप कब तक करते रहेंगे?' लूटना नियम के अनुसार है या नियम के बाहर है? रोजाना चार लोग लूट लिए जाते हो, अब वह इनाम आपको लगेगा, इसका विश्वास आपको कैसे हो गया? वह इनाम तो किसी हिसाबवाले को किसी दिन लगता है, क्या हर रोज़ इनाम लगता होगा? मानवता की विशेष समझ प्रश्नकर्ता : भिन्न-भिन्न मानवता के लक्षण जरा विस्तार से समझाइए। दादाश्री : मानवता के ग्रेड (कक्षा) भिन्न-भिन्न होते हैं। प्रत्येक देश की मानवता जो है, उसके डिवेलपमेन्ट के आधार पर सब ग्रेड होते हैं। मानवता यानी खुद का ग्रेड तय करना होता है, कि यदि हमें मानवता ये क्रिश्चियन भी पुनर्जन्म नहीं समझते हैं। चाहे कितना भी आप उनसे कहो कि आप पुनर्जन्म को क्यों नहीं समझते? फिर भी वे नहीं मानते। किन्तु हम (वे गलत है) ऐसा बोल ही नहीं सकते, क्योंकि यह
SR No.009592
Book TitleManav Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages21
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size213 KB
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