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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य
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इस दुनिया में कैसे भी गुनाह किए हों, कैसे भी गुनाह लेकर यहाँ आए, तब भी यदि वह फिर से जीवन में ऐसे गुनाह न करनेवाला हो, तो मैं हर तरह से शुद्ध कर दूँ।
यह सुनकर तुझे कुछ पछतावा होता है?
प्रश्नकर्ता: बहुत ही होता है ।
दादाश्री : पछतावे में जलेगा तो भी पाप खतम हो जाएँगे। दोचार लोग यह बात सुनकर मुझसे पूछने लगे कि 'हमारा क्या होगा?' मैंने कहा, 'अरे भैया, में तुझे सब ठीक कर दूँगा। तू आज से समझ जा ।' जागे तब से सवेरा। उसकी नर्कगति उड़ा दूँ, क्योंकि मेरे पास सब रास्ते हैं, मैं कर्ता नहीं हूँ इसलिए। यदि मैं कर्ता होऊँ तो मुझे बंधन हो। मैं आपको ही दिखाऊँ कि अब ऐसा करो। उसके बाद फिर सब खतम हो जाता है और साथ में हम अन्य विधियाँ कर देते हैं।
परायी स्त्री के साथ घूमें तो लोग उँगली उठाएँ न? इसलिए वह समाजविरोधी है और साथ ही कई तरह की मुश्किलें खड़ी होती है। नर्क की वेदनाएँ अर्थात् इलेक्ट्रिक गेस में बहुत काल तक जलते रहना! एक, इलेक्ट्रिक गरमी की वेदनावाला नर्क है और दूसरा, ठंड की वेदनावाला नर्क है। वहाँ पर इतनी ठंड है कि हम इतना बड़ा पर्वत ऊपर से डालें तो उसका इतना बड़ा पत्थर न रहे, पर उसका कण-कण बिखर जाए !
परस्त्री के जोखिम सोचें तो उसमें कितने-कितने जोखिम है ! वह जहाँ जाए वहाँ आपको जाना पड़ेगा। उसे माँ भी बनाना पड़े ! आज ऐसे कितने ही बेटे हैं कि जो उनकी पिछले जन्म की रखैल के पेट से जन्मे हैं। यह सारी बात मेरे ज्ञान में भी आई थी। (पिछले जनम में) बेटा उच्च ज्ञाति का हो और माँ निम्न ज्ञाति की हो। माँ निम्न जाति में जाती है और (उसका होनेवाला) बेटा उच्च ज्ञाति में से निम्न ज्ञाति में वापस आता है। कितना भयंकर जोखिम ! पिछले जन्म में जो पत्नी थी वह इस जन्म माता हो और इस जन्म में माता हो वह अगले जन्म में पत्नी बने ! ऐसा जोखिमवाला यह संसार है! बात को इतने में ही समझ लेना! प्रकृति विषयी
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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य नहीं है, यह बात मैंने अन्य प्रकार से कही थी। लेकिन यह तो हम पहले से कहते आए हैं कि यह अकेला ही जोखिम है।
प्रश्नकर्ता: दोनों पार्टियाँ सहमत हो तो जोखिम है क्या?
दादाश्री : सहमति हो फिर भी जोखिम है। दोनों परस्पर राजी हो उससे क्या होगा? वह जहाँ जानेवाली है वहाँ हमें जाना पड़ेगा। हमें मोक्ष में जाना है और उसके धंधे ऐसे हैं, तो हमारी क्या दशा हो? गुणाकार (दोनों (का हिसाब ) कब मिले? इसलिए सभी शास्त्रकारों ने प्रत्येक शास्त्र में विवेक के लिए कहा है कि शादी कर लेना। वर्ना ये हरहा ढोर हो तो किसका घर सलामत रहे? फिर सेफसाइड ही क्या रहे ? कौन-सी सेफसाइड रहे? तू बोलता क्यों नहीं? पिछली चिंता में पड़ गया क्या ?
प्रश्नकर्ता: हाँ जी ।
दादाश्री : मैं तुझे धो दूँगा । हमें तो इतना चाहिए कि अभी हमें मिलने के बाद कोई दखल नहीं है न? पिछली दख़ल हो तो उसको छुड़ाने के हमारे पास बहुत से तरीके हैं। तू मुझे अकेले में बता देना। मैं तुझे तुरंत धो दूंगा। कलयुग में मनुष्य से क्या भूल नहीं होती? कलयुग है और भूल नहीं हो ऐसा होता ही नहीं है न!
एक के साथ डायवोर्स (तलाक) लेकर दूसरी के साथ शादी करने की इच्छा हो तो उसमें आपत्ति नहीं है, पर शादी करनी होगी। अर्थात् उसकी बाउन्ड्री होनी चाहिए। 'विदाउट एनी बाउन्ड्री' अर्थात् हरहा ढोर । फिर उसमें और जानवर में अंतर ही नहीं।
प्रश्नकर्ता रखैल रखी हो तो?
दादाश्री : रखैल रखी हो, पर वह रजिस्टर्ड (मान्य) होना चाहिए। फिर दूसरी नहीं होनी चाहिए।
प्रश्नकर्ता: उसकी रजिस्ट्री नहीं करा सकते। रजिस्ट्री करने पर जायदाद में हिस्सा माँगे, कई झंझट हो जाती हैं।