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(२७) निखालिस
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आप्तवाणी-४
हो जाए, तब असामान्य बनता है। सामान्य मनुष्य लाचारी भी अनुभव करता है, तीन दिनों तक भूखा रखे तो लाचारी अनुभव करता है। इसलिए असामान्य बनें। फिर तो खुद के सुख की सीमा नहीं रहेगी।
अभी कोई बड़ा व्यक्ति आपको दिखे तो आपको लघुताग्रंथि उत्पन्न होती है, आप एकदम प्रभावित हो जाते हो। अरे! वो सामान्य व्यक्ति ही है, फिर उससे क्या प्रभावित होना?
निखालिस हो गए अर्थात् दुनिया का कोई भी डर रखने की ज़रूरत ही नहीं होती। उसका तो ओटोमेटिकली रक्षण होता रहता है, उसका कोई भक्षण कर ही नहीं सकता। स्वरूपज्ञान मिलने के बाद उसकी पूर्ण दशा उत्पन्न होगी, तब कोई भी भक्षण नहीं कर सकेगा, कोई नाम भी नहीं दे सकेगा।
दादाश्री : नहीं। जो गलत फायदा लेने आया होगा, वह सौ फुट दूर से ही अंदर नहीं आ सकेगा। उसकी शक्ति ही टूट जाएगी, फ्रेक्चर हो जाएगी।
प्रश्नकर्ता : निखालिस अर्थात् स्व-स्वरूप में रहे वह?
दादाश्री : स्व-स्वरूप में तो हम ज्ञान दें तो आप भी रहते हो, परन्तु वह निखालिसता नहीं कहलाती। निखालिस को संसार का एक भी विचार नहीं आता, हृदय एकदम प्योर होता है। आपको अभी भी विचार आते हैं, उनमें तन्मयाकार हो जाते हो। घर के विचार आएँ, व्यापार के आएँ, विषयों के आएँ, दूसरे सभी प्रकार के विचार आएँ, तब तक मनुष्य ट्रान्सपेरेन्ट नहीं हो सकता।
प्रश्नकर्ता : निखालिस मनुष्य को किसके विचार आते हैं?
दादाश्री : उन्हें विचार ही नहीं होते। उनका मन घूमता ही रहता है। समय-समय अर्थात् समयवर्ती हो चुका होता है। निखालिस पुरुष की सिद्धियाँ असीम होती हैं। परन्तु वे उनका उपयोग नहीं करते। अंत में आपको भी ऐसा ही निखालिस होना पड़ेगा न?
एक निबंध लिखकर लाना कि किसलिए जीवन जीना है! उसके पोजिटिव-नेगेटिव सभी साइड लिखकर लाना। हमें प्रगति तो करनी पड़ेगी न? ऐसे सामान्य व्यक्ति की तरह कब तक बैठे रहेंगे? मुझे तेरहवें वर्ष में असामान्य होने का विचार आया था। सामान्य अर्थात् सब्जीभाजी, वैसा मुझे लगा था। सामान्य व्यक्ति को जो तकलीफ पड़ती है, वैसी कोई तकलीफ असामान्य मनुष्य को नहीं पड़ती। सामान्य मनुष्य किसीको हेल्प नहीं कर सकता। जब कि असामान्य मनुष्य हेल्प के लिए ही होता है। इसलिए ही उसे जगत् एक्सेप्ट करता है।
प्रश्नकर्ता : असामान्य मनुष्य की परिभाषा क्या है?
दादाश्री : असामान्य अर्थात् खुद जगत् के सभी लोगों को, हर एक जीव-मात्र के लिए हेल्पफुल हो जाए। खुद स्वतंत्र हो जाए, प्रकृति से पर