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करीने प्रस्तुत ग्रन्थना अध्ययन-वाचन करनाराओने उपयोगी माहिती आपवानो जे प्रशस्य प्रयास सेव्यो छे, ते माटे हुं तेमने अहिं मारा सादर अभिनन्दन आपवानी तक लऊ छु. २. महामात्य वस्तुपालनी महत्ता
महामात्य वस्तुपाल जैन धर्मना अने ते साथे समग्र गूर्जर राष्ट्रना इतिहासमां, एक अद्वितीय विभूतिमान् व्यक्ति थई गई. शौर्य, औदार्य, सौभाग्य, सौजन्य अने संस्कारसौष्ठव आदि अनेकानेक लोकोत्तर गुणोनो ते एक मूर्तिमान् अवतार हतो. साहित्य, संगीत अने स्थापत्य जेवा जीवनोल्लासनिदर्शक ज्ञान-विज्ञाननो ते परम रसिक अने प्रकृष्ट प्रोत्साहक हतो. राजनीति अने राष्ट्रव्यवस्थाना तंत्रनो ते महान् सूत्रधार हतो. स्वयं श्रेष्ठ विद्वान् अने वीर होई, विद्वानो अने वीरोनो मोटो प्रशंसक, पोषक अने आश्रयदाता हतो. तेना भाग्ये तेने तत्कालीन सत्ता अने समृद्धिना चरम शिखरे पहोंचाड्यो हतो अने तेनो तेणे सर्वोत्कृष्ट सुकृतलाभ लीधो हतो. वस्तुपालना जेवी,
असाधारण प्रकारना उच्च गुणधारक व्यक्तियो, महान् भारतना प्रभूत भूतकालमां य, बहु ज विरल थयेली जणाशे, तेने मळेली सत्तानो सदुपयोग तेणे स्वकीय राष्ट्रनी सुस्थिति निर्मित करवा माटे को अने समृद्धिनो सद्व्यय, तत्समयनी परिस्थितिने अनुरूप, सर्वलोकोपकारक अने साथे सुसंस्कारपरिपोषक एवां धर्मस्थानोनी रचना करवामां को. तेना एवा उदात्ततम अवदातोथी आकर्षाई, तदीय समकालीन, देशना श्रेष्ठ कवियो अने विद्वानोए तेनी सत्कीर्ति अने सुस्तुतिना उन्मुक्त गुणगान करनारां अनेक प्रशस्तिकाव्यो रच्यां जेमांनां घणां खरां हजी सुधी पण सचवाई रह्यां छे. तेवी ज रीते, तेणे जे अढळक द्रव्य खर्ची, स्थापत्यकलानां उत्कृष्ट प्रतीको जेवां शत्रुजय आबू , गिरनार आदि तीर्थस्थानोमां जे भव्य देवमन्दिरो बनाव्यां तेमांना पण घणां खरां, आपणा देशना सद्भाग्ये, हजी सुधी सुरक्षित रही शक्यां छे अने जगतना प्रवासीयोने पोताना निर्मातानी दिव्यगाथा संभळावी रह्यां छे. सुकृत्यो अने सत्कीर्तनो द्वारा आ जातनुं अमर नाम प्राप्त करनारा मनुष्यो संसारना इतिहासमां बहु विरल थया छे.
वस्तुपानी कीर्ति-स्तुति कथनारां जे प्रशस्तिकाव्यो उपलब्ध थाय छे ते बधानो ढूंक परिचय, अमदाबादनी 'गुजरात साहित्य सभा'ना उपक्रम नीचे, सन् १९३३ ना जुलाईमां, 'प्राचीन गूजरातना सांस्कृतिक इतिहासनी साधन-सामग्री' ए नामे म्हें जे एक व्याख्यान आप्यु हतुं तेमां आपवा प्रयत्न कर्यो हतो. ए परिचय प्रस्तुत ग्रन्थ, वाचन अने अवलोकन करनाराओने खास उपयोगी होवाथी तेम ज ते अन्य रीते पण अहीं बहु ज प्रासंगिक होवाथी आ नीचे तेनो उतारो आपवामां आवे छे.
३. वस्तुपाल-तेजपाल- कीर्तिकथा-साहित्य
"चौलुक्य वंशना छेल्ला राजा, बीजा भीमदेवना समयनो गूजरातनो इतिहास प्रमाणमां सौथी वधारे विगतवाळो अने वधारे विश्वसनीय पुरावावालो मळी आवे छे, अने तेनुं कारण, ते