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समयमां थएला चाणक्यना अवतारसमा गूजरातना बे महान् अने अद्वितीय बंधुमंत्री वस्तुपालतेजपाल छे. ए बे भाईयोना शौर्य, चातुर्य अने औदार्य आदि अनेक अद्भुत गुणोने लईने, एमना समकालीन गूजरातना प्रतिभावान् पंडितो अने कवियोए एमनी कीर्तिने अमर करवा माटे जेटलां काव्यो, प्रबंधो अने प्रशस्तियो वगेरे रच्यां छे तेटलां हिंदुस्थानना बीजा कोई राजपुरुष माटे नहिं रचायां होय. (अ) वस्तुपालरचित नरनारायणानंद काव्य
वस्तुपाल मंत्री जाते एक सरस कवि अने बहु विद्वान् पुरुष हतो. ते प्राचीन गूजरातना वैश्यजातीय महाकवि माघनी जेम श्री अने सरस्वती बनेनो परम कृपापात्र हतो. तेणे, जेम मंदिरो वगेरे असंख्य धर्मस्थानो उभां करी अने अगणित द्रव्य दान-पुण्यमां खर्ची लक्ष्मी देवीनो यथार्थ उपभोग को हतो, तेम, अनेक विद्वानो अने कवियोने अत्यंत आदरपूर्ण अनन्य आश्रय आपी, तेम ज पोते पण कविता अने साहित्यमां खूब रस लई, सरस्वती देवीनो ते साचो उपासक बन्यो हतो. केटलेक अंशे महाकवि माघ ए वस्तुपालना मानसनो आदर्श पुरुष होय एम मने लागे छे. माघना 'शिशुपालवध' महाकाव्यना अनुकरणरूपे वस्तुपाले 'नरनारायणानंद' नामनुं महाकाव्य बनाव्युं छे. ए काव्यना अंतिम सर्गमां मंत्रीये पोतानो वंशपरिचय विस्तारथी आप्यो छे अने पोते केवी रीते अने कई इच्छाए, गूजरातना ए वखतना अराजकतंत्रनो महाभार माथे उपाडवा अमात्यपद स्वीकार्यु छे, तेनुं केटलुक सूचन कर्यु छे. (आ) सोमेश्वरकविकृत कीर्तिकौमुदी
गूजरातना चौलुक्यवंशनो राजपुरोहित नागरवंशीय पंडित सोमेश्वर गूजरातना कवियोमा श्रेष्ठ पंक्तिनो कवि थई गयो. ए वस्तुपालनो परम मित्र हतो. वस्तुपालने महामात्य बनाववामां एनो कांईक हाथ पण हतो. वस्तुपालनी जीवकीर्तिने अमर करवा माटे एणे 'कीर्तिकोमुदी' नामर्नु नानुं पण घणुं सुंदर काव्य बनाव्यु. ए काव्यमां कविये प्रथम गूर्जर राजधानी अणहिलपुरनुं वर्णन कर्यु. ते पछी तेनां राजकर्ता चौलुक्य वंशनुं अने मंत्रीना पूर्वजोनुं वर्णन आप्यु. ते पछी, केवी रीते मंत्रीने ए मंत्रीपदनी प्राप्ति थई तेनुं, मंत्री थया पछी खंभातना तंत्रने व्यवस्थित कर्यानु, अने तेम करतां शंखराज साथे करवा पडेला युद्धनुं वर्णन कयें. ते पछी मंत्रीये शत्रुजय, गिरनार अने सोमेश्वर वगेरे तीर्थस्थानोनी मोटा संघ साथे करेली यात्रा, सुरम्य वर्णन आप्युं छे. ए यात्रा करी मंत्री ज्यारे पाछो पोताने स्थाने आवे छे ते ठेकाणे कवि पोताना काव्यनी समाप्ति करे छे. एथी जणाय छे के वि. सं. १२८०नी लगभग ए काव्यनी रचना थई होवी जोईये. (इ) ठक्कुर अरिसिंहरचित सुकृतसंकीर्तन
सोमेश्वरनी माफक अरिसिंह नामना कविये वस्तुपालना सुकृतनुं संकीर्तन करवानी इच्छाथी 'सुकृतसंकीर्तन' नामर्नु अन्वर्थक काव्य बनाव्यु छे. ए काव्यमां पण लगभग कीर्तिकौमुदी जेवू ज बधुं वर्णन आवे छे. एमां विशेष एटलो छे के, कीर्तिकौमुदीमां ज्यारे अणहिलपुरना