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________________ लचतुर्थम् । ] भाषाटीकासमेतः। ३५७ बृहन्नलो गुडाकेशे महापोटगलेऽपि च । भद्रकाली तु पार्वत्यां गन्धोल्यामोषधीभिदि ।। १६४ ॥ भस्मतूलं हिमे पांशुवर्षणग्रामकूटयोः । मणिमाला मता योषिद्दशनक्षतहारयोः ॥ १६५॥ मदकलः स्यान्मत्तेभे मदेनाऽव्यक्तवाचि च । महाकालो महादेवे किम्पाके प्रमथान्तरे ॥ १६६ ॥ महानीलो नागभेदे महानीलश्च मार्कवे। महाबलं सीसके च बलप्रौढे तु वाच्यवत् ॥ १६७ ॥ गोरक्षतण्डुलायां तु स्त्रियामेव महाबला । मुक्ताफलं तु मुक्तायां कर्णपूरे बले फले ॥ १६८ ॥ स्यात्कदल्यां मृत्युफली महाकालतरौ पुमान् । पुमान्यवफलो वेणौ कुटजे मासिकौषधौ ॥ १६९॥ ---- - बृहन्नल-अर्जुन, बडा देवनल या महानील-नागभेद, कूकरभंगरा, काश, (पुं०) (पुं० ) : भद्रकाली-पार्वती, छोटाकचूर, महाबल--महाबल शीशा, (न० ) औषधिभेद, (स्त्री०) ॥ १६४ ॥ बहुतबलवान, (त्रि.)॥ १६॥ भस्मतूल-हिम (ठंढ), गाँवका कुरड़, महाबला-गंगेरन (स्त्री. ) रजका बरसना, मणिमाला-स्त्रीके दांतोंसे काटनेका मुक्ताफल-मोती, कर्णआभूषण, चिह्न, हार, (स्त्री०)॥ १६५॥ । ____ बल, फल, (न० ) ॥ १६८ ॥ मदकल-उन्मत्त हस्ती, मदसे अव्य-मृत्युफली-केला, ( स्त्री०) क्तवाणीवाला, (पुं०) कदल-महाकाल-वृक्ष, ( पुं० ) महाकाल-महादेव, महाकाललता, यवफल-बांस, इंद्रजव, जटामांसी शिवगणभेद, (पुं०)॥ १६६ ॥ । औषधि, (पुं० ) ॥ १६९ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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