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________________ ३५६ विश्वलोचनकोशः- [ लान्तवर्गेगण्डशैलो गिरिभ्रष्टस्थूलोपलकपोलयोः। स्त्रियां गन्धफली फल्यां तथा चम्पककोरके ।। १५८ ॥ गोलांगूलं तु गोपुच्छे गोलाङ्गलः कपौ पुमान् । चक्रबालो गिरेभेदे चक्रवालं तु मण्डले ॥ १५९ ।। जलाञ्चलं तु शैवाले स्वतः पानीयनिर्गमे । दलामलं मरुबके दमनेऽपि दलामलम् ॥ १६० ॥ ध्वनिनाला तु वीणायां वेणुकाहलयोरपि । भवेत्परिमलश्चित्तहारिगन्धविमर्दयोः ॥ १६१ ॥ रतामर्दसमुन्मीलदङ्गरागादिसौरभे । पीठकेलिः पीठमर्दै करकाकेक्षिरागयोः ॥ १६२ ।। दौर्गतौ वारिवाहे च पीठकेलिपदाभिधा । स्त्रीपुंसयोबहुफला मलयूनीपयोः क्रमात् ॥ १६३ ॥ गंडशैल-पर्वतसे गिराहुवा बडा ध्वनिनाला-बीणा, वेणु (वंशी), पत्थर, कपोल ( गाल), (पुं० ) काहल, (बडा ) नगारा, (स्त्री०) गंधफली-फूलप्रियंगू, चपाकी परिमल-चित्तको हरनेवाला गंध, __ कली, (स्त्री०) ॥ १५८ ॥ (पुं० ) ॥ १६१ ॥ गोलांगूल-गौकी पूंछ, (न०) वन्दर, विशेषमर्दन, सुरतके मर्दनमें उत्पन्न (पुं०) । हुवा अंगरागका गंध, (पुं०) चक्रवाल-पर्वतभेद, (पु.) मंडल, ॥१६२ ॥ जलांचल-शिवाल, आपसे पानीका पीठकेलि-अतिधृष्ट, ओला, नेत्ररं. झिरना, (न०) | जन, दुर्गतिवाला, मेघ, (पुं० स्त्री०) दलामल-मरुवा, दौना, ( न०)| बहुफला-कठूमर, (स्त्री.) ॥ १६० ॥ बहुफल-कदंब-वृक्ष, (पुं०) ॥१६३॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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