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________________ विश्वलोचनकोशः-- [दान्तवर्गनलदं मकरन्दे स्यान्मांसिकोशीरयोरपि । निर्वादस्तु परीवादपरनिन्दितवादयोः ॥ २९ ॥ निषादः खरभेदेऽपि निषादः पचपचेऽपि च । प्रणादोऽत्युच्चशब्दे स्यात्प्रणादः कर्णरुग्भिदि ॥ ३० ॥ प्रमदा मत्तकाशिन्यां प्रमदो गर्वितामुदि । प्रसादस्तु प्रसन्नत्वे काव्यालङ्करणान्तरे ॥ ३१ ॥ खास्थ्ये चानुग्रहे चाथ प्रह्लादः प्रणदेऽसुरे । प्रासादः पुंसि देवस्य नरदेवस्य वाऽऽलये ॥ ३२ ॥ कन्यायां वरदा शान्ते प्रसन्ने वरदस्त्रिषु । भसत्पुंस्येव काले स्याद्भसन्मांसे प्रभासुरे ॥ ३३ ॥ मर्यादा तु स्थितौ सीम्नि कूले कूले च वारिधेः । माकन्दस्तु रसाले स्यान्माकन्द्यामलकीफले ॥ ३४ ॥ नलद-पुष्परस, जटामांसी-औषधि, ॥ ३१ ॥ स्वस्थता, अनुग्रह (कृपा) खस, (न०) (पुं० ) निर्वाद-अपवाद, दूसरोंसे निंदित प्रह्लाद-ऊँचा शब्द, असुर, (पुं०) | प्रासाद-देवताका मंदिर, राजाका वाद, (पुं०)॥ २९ ॥ ___ महल, (पुं०)॥ ३२ ॥ निषाद-गानेका स्वरभेद, चांडाल वरदा-कन्या, ( स्त्री० ) वरद-शां. भील आदि नीच, (पुं०) तचित्त, प्रसन्न, (त्रि.) प्रणाद-अति ऊँचा शब्द, कानरो- भसद्-काल, (पुं० ) मांस, (न०) ___गका भेद (पुं०)॥३०॥ प्रकाशवान (त्रि.)॥ ३३ ॥ प्रमदा--गुणवती स्त्री, (स्त्री.) मर्यादा-स्थिति, सीम, तीर, समुद्र का तीर, (स्त्री० ) प्रमद-गर्वितास्त्रीका, आनंद, (पुं०) माकन्द-आम्र, (पुं० ) माकंदीप्रसाद-प्रसन्नत्व, काव्य-अलंकार, आँवलेका फल (स्त्री.)॥ ३४॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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