SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 367
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्रिया - कोश ३०३ अक्रियावादी जीव तथा साकारोपयोग वाले -- अनाकारोपयोगवाले अक्रियावादी जीव चारों प्रकार का आयुष्य बाँधते हैं । तेजो-पद्म- शुक्ललेशी अक्रियावादी जीव नरकायुष्य बाद अवशेष तीन प्रकार का आयुष्य बाँधते हैं । अक्रियावादी नारकी जीव मनुष्य तथा तिर्यचयोनिक जीव का आयुष्य बाँधते हैं, नारकी तथा देवता का आयुष्य नहीं बाँधते हैं । सलेशी यावत अनाकारोपयोग तक जो-जो विशेषण अक्रियावादी नारकी में पाये जायँ उन उन विशेषणों सहित अक्रियावादी नारकी जीव तिर्यचयोनिक तथा मनुष्य का आयुष्य बाँधते हैं, नारक तथा देवता का आयुष्य नहीं बाँधते हैं । अक्रियावादी भवनपति देव मनुष्य तथा तिर्य'चयोनिक जीव का आयुष्य बाँधते हैं, नारकी तथा देवता का आयुष्य नहीं बाँधते हैं । सलेशी यावत् अनाकारोपयोग तक जो-जो विशेषण अक्रियावादी भवनपति देवों में पाये जायँ उन-उन विशेषणों सहित अक्रियावादी भवनपति देव तिर्य'चयोनिक तथा मनुष्य का आयुष्य बाँधते हैं, नारक तथा देवता का आयुष्य नहीं बाँधते हैं । अक्रियावादी पृथ्वी-अप्[-वनस्पतिकायिक जीव मनुष्य तथा तिर्यच का आयुष्य बाँधते हैं । सलेशी यावत् अनाकारोपयोग तक जो-जो विशेषण अक्रियावादी पृथ्वी- अप्-वनस्पतिकायिक में पाये जायँ - उन उन विशेषणों सहित अक्रियावादी पृथ्वी- अप्-वनस्पतिकायिक जीव तिर्य'चयोनिक तथा मनुष्य का आयुष्य बाँधते हैं लेकिन तेजोलेशी अक्रियावादी पृथ्वी - अप्-वनस्पतिकायिक जीव किसी भी प्रकार का आयुष्य नहीं बाँधते हैं । अक्रियावादी अग्निकाय-वायुकायिक जीव केवल तिर्य चयोनिक जीव का आयुष्य ते हैं। सलेशी यावत् अनाकारोपयोग तक जो जो विशेषण अक्रियावादी अग्निकायवायुकायिक जीवों में पाये जायँ - उन उन विशेषणों सहित अक्रियावादी अग्निकाय-वायुकायिक जीव के केवल तिर्यंचयोनिक जीव का आयुष्य बाँधते हैं । अक्रियावादी द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय जीव मनुष्य तथा तिर्य चयोनिक जीव का आयुष्य बाँधते हैं ! सलेशी यावत् अनाकारोपयोग तक जो-जो विशेषण अक्रियावादी द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय जीवों में पाये जायँ उन उन विशेषणों सहित अक्रियावादी द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय जीव तिर्थं चयोनिक तथा मनुष्य का आयुष्य बाँधते हैं लेकिन सम्यक्त्व तथा ज्ञान "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy