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क्रिया - कोश
सव्वाणे मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाअयं पकरेंति, नो मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति ।
astar as दिय- चउरिंदियाणं जहा पुढविकाइयाणं । नवरं सम्मत्त नाणेसु न एक्कंपि आउयं पकरेंति । (२७)
किरियाबाई णं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया किं नेरइयाउयं पकरेंतिपुच्छा । गोयमा ! जहा मणपज्जवनाणी । अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणश्यवाई य चव्विहं ( चउहिं ) पि पकरेंति । -
जहा ओहिया तहा सलेस्सा वि ।
कण्हलेस्सा णं भंते ! x पंचिदियतिरिक्खजोणिया xxx अकिरिया वाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई चउव्विहं पिपकरेंति । जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि । तेउलेस्सा जहा सलेस्सा | नवरं अकिरियवाई, अन्नाणियवाई, वेणइयवाई यणो नेरइयाज्यं पकरेंति, देवाउयं वि पकरेंति । तिरिक्खजोणियाज्यं वि पकरेंति, मणुस्सायं विपकरेंति ।
एवं पहले सावि, एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियव्वा ।
कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउव्विहं पि आउयं पकरेह |
सुक्कपक्खिया जहा सहसा ।
मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया ।
अन्नाणी जाव - विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया । सेसा जाव अणागारोवत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चैव भाणियव्वा ।
जहा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं वतव्वया भणिया एवं मणुस्साण वि भाणियव्वा ! xxx । जहा ओहिया जीवा सेसं तहेव ।
वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ।
- भग० श ३० । उ १ । प्र १२ से १४, १६, १८, १६, २२, २४ से २६
पृ० ६०६-८
अक्रियावादी जीव नरक, तिर्यं चयोनिक, मनुष्य तथा देवता - चारों प्रकार का आयुष्य बांधते हैं ।
सलेशी, कृष्ण-नील कापोतलेशी अक्रियावादी जीव, कृष्णपाक्षिक-शुक्लपाक्षिक अक्रियवादी जीव, अज्ञानी, मति श्रुत-विभंग- अज्ञानी अक्रियावादी जीव, आहारादि चारों संज्ञाओं में उपयोग वाले अक्रियावादी जीव, सवेदक, स्त्री- पुरुष - नपुंसक वेदक अक्रियावादी जीव, सकषायी, कोध-मान-माया लोभ कषायी अक्रियावादी जीव, सयोगी, मन-वचन-काययोगी
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