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________________ क्रिया-कोश जाति को माता सुलसा, चतुष्पाद-पशुओं को माता-सुरभि, सर्व बीजों की माताइला-पृथ्वो उनके नाम थे। इससे प्रमाणित होता है कि बुद्धिमान पुरुष रूप कारण से कृत यह जगत है क्योंकि घट की तरह इसका संस्थान है। से जहा नामए–गंडेसिया सरीरे जाए सरीरे संवुड सरीरे अभिसमन्नागए सरीरमेव अभिभूय चिट्ठइ, एवमेव धम्मा पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । से जहा नामए–अरई सिया सरीरे जाया सरीरे संवुड्डा सरीरे अभिसमन्नागया सरीरमेव अभिभूय चिट्ठइ । एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । से जहा नामए-वम्मिए सिया पुढविजाए पुढविसंवुड्ढे पुढविअभिसमन्नागए पुढविमेव अभिभूय चिठ्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । से जहा नामए रुक्खे सिया पुढविजाए, पुढवि-संवुड, पुढवि अभिसमन्नागए पुढविमेव अभिभूय चिट्ठइ । एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । से जहा नामए पुक्खरिणी सिया पुढविजाया जाव पुढविमेव अभिभूय चिट्ठइ ; एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति। से जहा नामए उदगपुक्खले सिया, उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिठ्ठइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । से जहानामए उदगबुब्बुए सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिट्ठइ , एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । -सूय० श्रु २ । अ १ । सू ११ । पृ० १३६-४० ---जिस प्रकार फोड़ा शरीर में उत्पन्न होता है, शरीर में वृद्धि को प्राप्त होता है, शरीर से अभिसमन्वागत अर्थात् शरीर से अपृथक्भूत है, शरीर को व्याप्त करके स्थित है, शरीर के आश्रय से स्थित है उसी प्रकार सचेतन-अचेतन स्वरूप लोक का भी आदि कारण पुरुष–ईश्वर है यावत् (देखो-२.५.३.४२) यह सर्वलोक पुरुष को व्याप्त करके स्थित है, ईश्वर के आश्रय से स्थित है । २-जिस प्रकार अरति-चित्त का उद्वेग शरीर में उत्पन्न होता है, शरीर में वृद्धि को प्राप्त होता है, शरीर से अपृथक् है, शरीर को व्याप्त करके स्थित है, शरीर के आश्रय से स्थित है इसी प्रकार यह लोक भी यावत् ईश्वर के आश्रय से स्थित है । ३-जिस प्रकार वल्मीक (कीट-विशेष कृत मिट्टी का स्तूप) पृथ्वी में उत्पन्न होता है, पृथ्वी में वृद्धि को प्राप्त होता है, पृथ्वी से अपृथक है, पृथ्वी को व्याप्त करके स्थित है, पृथ्वी के आश्रय से स्थित है उसी प्रकार यह लोक यावत् ईश्वर के आश्रय से स्थित है । "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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