SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 344
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८० क्रिया - कोश अपेक्षा चौदह भेद हुए। इनमें से प्रत्येक के काल, यहच्छा, नियति, स्वभाष, ईश्वर, आत्मा- इन छः कारणों की अपेक्षा छः-छः भेद करने से कुल ८४ भेद हुए । जैसे-जीव स्वतः काल की अपेक्षा नहीं जीव परतः काल की अपेक्षा नहीं है । इस प्रकार काल की अपेक्षा जीव के दो भेद हैं । काल की तरह यच्च्छा, नियति, स्वभाव, ईश्वर, आत्मा की अपेक्षा जीव के दो-दो भेद होते है । इस प्रकार जीव के स्व-पर के काल, यहच्छा, नियति, स्वभाव, ईश्वर, आत्मा की अपेक्षा १२ भेद होते हैं । जिस प्रकार जीव के स्व-पर से काल - यच्च्छा-नियति-स्वभाव-ईश्वर आत्मा की अपेक्षा १२ भेद होते हैं; उसी प्रकार अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष में से प्रत्येक के बारह-बारह भेद होते हैं। कुल अक्रियावादी के ८४ भेद प्रक्रिया से हुए । अभयदेवसूरि ने भी ठाण० स्था ४ । ४ । सू ३४५ की ) टीका अक्रियावादी के उक्त प्रकार से ८४ भेद किये हैं । ३ विशिष्ट भेद: -: [आगमों में स्थान-स्थान पर विभिन्न प्रकार के अक्रियावादियों का वर्णन मिलता है । उपर्युक्त आठ भेदों के सिवाय अन्य अक्रियावादियों का संकलन हमने यहाँ किया है ] ६ वामलोक वादी *१० तजीव तच्छरीरवादी * ११ पंचस्कंधवादी *१२ धातुवादी *१३ पंचमहाभूतवादी १४ अक्रिय आत्मवादी १५ नियतिवादी ६२६३ भेदों की परिभाषा / अर्थ : १ एकवादी - आत्माऽद्वैतवादीपरिभाषा / अर्थ - तक एवात्मादिरर्थ इत्येवं वदतीत्येकवादी । - ठाण० स्था ८ सू ६०७ । टीका जो समस्त विश्व में व्याप्त एक ही आत्मा को मानते थे उनको एकवादी कहा जाता था । "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy