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________________ क्रिया कोश २६६ संज्ञाओं में उपयोगवाले क्रियावादी जीव, सवेदक, स्त्री-पुरुष नपुंसकवेदक क्रियावादी जीव, सकषायो-क्रोध-मान-माया-लोभ कषायी क्रियावादी जीव, सयोगी, मन-वचन-काययोगी क्रियावादी जीव तथा साकारोपयोगवाले अनाकारोपयोगवाले क्रियावादी जीव मनुष्य तथा देवता का आयुष्य ही बाँधते है, नारक तथा तिर्यचयोनिक जीव का आयुष्य नहीं बाँधते है। मनःपर्यवज्ञानी क्रियावादी जोव, और संज्ञाओं में उपयोग रहित क्रियावादी जीव केवल वैमानिक देवता का आयुष्य बाँधते है। अलेशी क्रियावादी जीव केवलज्ञानी क्रियावादो जीव, अवेदक क्रियावादी जीव, अकषायी क्रियावादी जीव तथा अयोगी क्रियावादी जीव किसी भी प्रकार का आयुष्य नहीं बाँधते हैं। क्रियावादी नारक जीव, मनुष्य का आयुष्य ही बाँधते हैं, नारकी, तिर्यचयोनिक जीव तथा देवता का आयुष्य नहीं बाँधते हैं । सलेशी यावत् अनाकारोपयोग तक जो-जो विशेषण क्रियावादी नारकी में पाये जायें उन-उन विशेषणों सहित क्रियावादी नारको जीव मनुष्य का आयुष्य हो बाँधते हैं । क्रियावादी भवनपति देव मनुष्य का आयुष्य ही बाँधते हैं, नारकी तिर्यचयोनिक जीव तथा देवता का आयुष्य नहीं बाँधते हैं ; सलेशी यावत् अनाकारोपयोग तक जो-जो विशेषण क्रियावादी भवनपति देवों में पाये जायें उन-उन विशेषणों सहित क्रियावादी भवनपति देव केवल मनुष्य का आयुष्य ही बाँधते हैं । क्रियावादी पंचेन्द्रिय तियें चयोनिक जीव केवल वैमानिक देवता का आयध्य बाँधते है ; सलेशी यावत् अनाकारोपयोग तक जो-जो विशेषण क्रियावादी पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक जीवों में पाये जायें उन-उन विशेषणों सहित कियावादो पंचेन्द्रिय तिर्य चयोनिक जीव केवल वैमानिक देवता का आयुष्य बाँधते हैं ; परन्तु कृष्ण-नील-कापोतलेशी क्रियावादी प'चेन्द्रिय तिर्यच योनिक जीव किसी भी प्रकार का आयुष्य नहीं बाँधते है । क्रियावादी मनुष्य केवल वैमानिक देवता का आयुष्य बाँधते हैं, सलेशी, तेजोलेशी यावत् शुक्ललेशी क्रियावादी मनुष्य, शुक्लपाक्षिक क्रियावादी मनुष्य, समष्टि क्रियावादी मनुष्य, ज्ञानी, मति-श्रुत-अवधि मनःपर्यवशानी क्रियावादी मनुष्य, आहारादि चारों संज्ञाओं में उपयोग वाले तथा संज्ञा में उपयोग रहित कियावादी मनुष्य, सवेदक, स्त्री-पुरुष नपुंसकवेदक क्रियावादी मनुष्य, सकषायी, क्रोध-मान-माया-लोभकषायी क्रियावादी मनुष्य, सयोगी, मन-वचन-काययोगी क्रियावादी मनुष्य तथा साकारोपयोग वाले अनाकारोपयोग वाले क्रियावादी मनुष्य केवल वैमानिक देवता का आयुष्य बाँधते हैं । "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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