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क्रिया - कोश
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यहाँ क्रियावादी की टीकाकार ने मिध्यादृष्टि में गणना करके १८० भेद एकान्त दृष्टि के आधार पर बतलाये हैं । क्रियावादी सम्यग्दृष्टि इन १८८० भेदों में सम्मिलित नहीं हैं, ये १८० भेद केवल मिथ्यादृष्टि क्रियावादियों के ही हैं ।
अक्रियावादी जीव केवल मिथ्यादृष्टि होते हैं। ; अज्ञानवादी तथा विनयवादी जीव मिथ्यादृष्टि या सममिथ्यादृष्टि होते हैं ।
*६२४ क्रियावाद / क्रियावादी :
६२४१ परिभाषा / अर्थ :
[ क्रियावादी की परिभाषा तीन आधार पर बनती है ; (१) अस्ति, (२) कर्मबंधन का हेतु, (३) कल्याण का हेतु । टीकाकारों ने अधिकांश परिभाषाएँ अस्ति के आधार पर की हैं । हमने तीनों तरह की परिभाषाओं के पाठ संकलित किये हैं । ]
* १ अस्ति के आधार पर क्रियावाद
(क) से (किं तं ) किरियावाई यावि भवई, तंजहा- आहियवाई, आहियपन्ने, आहियदिट्ठी, सम्मावाई, नियावाई, संति परलोगवाई, अत्थि इहलोगे, अस्थि परलोगे, अस्थि माया, अत्थि पिया, अस्थि अरिहंता, अत्थि चक्वट्टी, अस्थि बलदेवा, अस्थि वासुदेवा, अत्थि सुकड दुक्कडाणं कम्माणं फलवित्तिविसेसे, सुचिष्णा कम्मा सुचिण्णा फला भवंति, दुचिण्णा कम्मा दुचिण्णा फला भवंति, सफले कल्याणपावर, पञ्चायंति जीवा, अस्थि नेरइया जाव अस्थि देवा, अस्थि सिद्धि से एवंवाई एवं पन्ने एवं दिट्ठी छंदरागमइनिविट्टे यावि भवइ । xxxx से तं किरियावाई |
-- दशासु द ६ । सू १७ । पृ० ६२८
(ख) अत्ताण जो जाणइ जो य लोगं,
गईं च जो जाणइ णागइ च । जो सासयं जाण असासयं च, जाई च मरणं च जणोचवायं ॥ अहो वि सत्ताण विउट्टणं च जो आसवं जाणइ संवरं च । दुक्खं च जो जाणइ निज्जरं च, सो भासिउ मरिहइ किरियवायं ॥
-- सूर्य ० श्र १ । अ १२ । गा २०, २१ । पृ० १२८
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