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________________ २५२ क्रिया-कोश पहले, दूसरे, तीसरे गुणस्थान के जीव सक्रिय होते है । चौथे से चौदहवें गुणस्थान तक के जीव इस अपेक्षा से अक्रिय होते हैं । .. पारिग्रहिकी क्रिया की अपेक्षा मनुष्य बाद दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते है । मनुष्यों में पाँचवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से सक्रिय होते हैं तथा छठे से चौदहवें गुणस्थान तक के मनष्य इस अपेक्षा से अक्रिय होते हैं । परिस्पंदन क्रिया की अपेक्षा चौदहवें गुणस्थान के मनुष्य को बाद देकर दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते हैं । चौदहवें गुणस्थान के मनुष्य श्वासोच्छ्वास आदि सभी प्रकार की क्रियाओं से अक्रिय होते हैं। एजना क्रिया की अपेक्षा से चौदहवें गुणस्थान के मनुष्य को बाद देकर दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते हैं । चौदहवें गुणस्थान के मनुष्य शैलेशी अर्थात सम्पूर्ण एजना क्रिया रहित होते हैं । अनन्तरसिद्ध एजना क्रिया सहित होते हैं, परंपरसिद्ध एजना रहित होते हैं । क्रिया सहित जीव कर्मबन्धन से अबन्धक नहीं होते हैं--जब तक जीव क्रिया सहित है तब तक कर्म बन्धन होता रहता है । नथि हु सकिरियाणं अबंधगं किंचि इह अणुट्ठाणं । -आव० नि गा ७६० । टोका में उद्धत '८८१ सक्रिय जीव के भेद :८८.११ दो भेद--सम्यक्त्व क्रियावाला तथा मिथ्यात्व क्रिया वाला। पाठ के लिए देखो-क्रमांक ६४.१.१ सक्रिय जीव दो क्रिया करते हैं-सम्यक्त्व क्रिया तथा मिथ्यात्व क्रिया । जो जीव मिथ्यात्व क्रिया करते हैं वे उस समय सम्यक्त्व क्रिया नहीं करते हैं, जो जीव सम्यक्त्व क्रिया करते हैं वे उस समय मिथ्यात्व क्रिया नहीं करते हैं । इस अपेक्षा से सक्रिय जीव के दो भेद-सम्यक्त्व क्रिया करने वाला जीव और मिथ्यात्व क्रिया करने वाला जीव । ८८.१२ दो भेद-ऐर्यापथिकी क्रियावाला तथा सांपरायिकी क्रिया वाला-- पाठ के लिए देखो-क्रमांक ६४२.१ सक्रिय जीव दो क्रिया करते हैं-ऐ-पथिकी क्रिया तथा सांपरायिकी क्रिया। जो जीव सांपरायिकी क्रिया करते हैं वे उस समय ऐपिथिकी क्रिया नहीं करते है। जो जीय ऐचपथिकी क्रिया करते हैं वे उस समय सांपरायिकी क्रिया नहीं करते हैं। "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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