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क्रिया-कोश
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मनुष्य सक्रिय होते हैं तथा चौदहवें गुणस्थान के मनुष्य अक्रिय होते है ; सिद्धगति के जीव अक्रिय होते हैं ।
कर्मबन्धन की अपेक्षा मनुष्य बाद दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते हैं, मनुष्य में प्रथम से तेरहवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से सक्रिय होते हैं और चौदहवें गुणस्थान के मनुष्य अक्रिय होते हैं ।
पापकर्मबन्धन की अपेक्षा मनुष्य बाद दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते हैं- मनुष्य में दश गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से सक्रिय होते हैं, ग्यारहवें से तेरहवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से अक्रिय होते हैं ।
परायिकी क्रिया की अपेक्षा मनुष्य बाद दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते हैं, मनुष्यों में दशवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से सक्रिय होते हैं, ग्यारहवें से तेरहवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से अक्रिय होते हैं ।
ऐर्यापथिकी क्रिया की अपेक्षा ग्यारवें, बारहवें, तेरहवें गुणस्थान के मनुष्य भी सक्रिय होते हैं !
योगक्रिया की अपेक्षा मनुष्य बाद दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते हैं । मनुष्यों में तेरहवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से सक्रिय होते हैं तथा चौदहवें गुणस्थान के मनुष्य इस अपेक्षा से भी अक्रिय होते हैं ।
अप्रत्याख्यानी क्रिया की अपेक्षा तिर्यं च पंचेन्द्रिय तथा मनुष्य बाद दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते हैं । तिर्यंच पंचेन्द्रिय तथा मनुष्यों में टीकाकार के अनुसार पाँचवें गुणस्थान के जीव भी अक्रिय होते हैं । मनुष्यों में छह गुणस्थान से चौदहवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से अक्रिय होते हैं ।
आरम्भिक क्रिया की अपेक्षा मनुष्य बाद दंडक के सभी जीव सक्रिय होते हैं। पांचवें गुणस्थान के मनुष्य इस अपेक्षा से सक्रिय होते हैं । छठे गुणस्थान के मनुष्य इस अपेक्षा से कोई एक सक्रिय होता है, कोई एक अक्रिय होता है । ( तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया ते सु जोगं पहुच नो आयारंभा नो परारंभा जाव अणारंभा, असुभं जोगं पडुब आयारंभा वि, जाव नो अणारंभा -भग श १ | उ १ । ४८ । पृ० ३८६ ) सातवें से चौदहवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से अक्रिय होते हैं ।
मायाप्रत्ययिकी क्रिया की अपेक्षा मनुष्य बाद दण्डक के सभी जीव सक्रिय होते हैं । मनुष्यों में दशवे गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से सक्रिय होते हैं ; ग्यारहवें से चौदहवें गुणस्थान तक के मनुष्य इस अपेक्षा से अक्रिय होते हैं ।
मिध्यात्व, मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी तथा मिथ्यादर्शनशल्य पापस्थान की अपेक्षा
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