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क्रिया-कोश रासीजुम्मदावरजुम्मनेरइया xxx एवं चेव उद्देसओ xxx सेसं जहा पढमुद्देसए जाव वेमाणिया (उ३)
रासीजुम्मकलिओगनेरइया xxx एवं xxx सेसं जहा पढमुद्देसए एवं जाव वेमाणिया।
-भग० श ४१ । उ २ से ४ । पृ० १३६ राशियुग्म त्र्योज जीव, राशियुग्म-द्वापरयुग्म जीव तथा राशियम कल्योज जीव के संबंध में सक्रिया-अक्रिया की अपेक्षा वैसा ही कहना जैसा राशियुग्म-कृतयुग्म जीव के संबंध में ऊपर कहा गया है।
'८७ ५। १६६ चार प्रकार के राशियुग्म कृष्णलेशी जीव के संबंध सक्रिया-अक्रिया की
अपेक्षा वैसा ही कहना जैसा क्रमांक ८७१ में कहा गया है । इसी प्रकार चार प्रकार के राशियुग्म नीललेशी जीव, कापोतलेशी जीव, तेजोलेशी जीव, पद्मलेशी जीव तथा शुक्ललेशी जीव के संबंध में सक्रिया-अक्रिया की अपेक्षा वैसे ही कहना जैसा क्रमांक ८७.१ में कहा गया है ।
इस प्रकार औधिक के चार तथा छः लेश्याओं के चौबीस उद्देशक-मोट अट्ठाइस उद्देशक हुए।
इसी प्रकार भवसिद्धिक राशियुग्म जीवों के सिक्रया अक्रिया की अपेक्षा अट्ठाइस उद्देशक कहने चाहिए।
इसी प्रकार अभवसिद्धिक राशियुग्म जीवों के सक्रिया-अक्रिया को अपेक्षा अष्ठाइस उद्देशक कहने चाहिए।
इसी प्रकार समष्टि राशियुग्म जीवों के सक्रिया-अक्रिया की अपेक्षा अट्ठाइस उद्देशक कहने चाहिए।
इसी प्रकार मिथ्यादृष्टि राशियुग्म जीवों के सक्रिया-अक्रिया की अपेक्षा अहाइस उद्देशक कहने चाहिए।
इसी प्रकार कृष्णपाक्षिक राशियुग्म जीवों के सक्रिया-अक्रिया की अपेक्षा अहाइस उद्देशक कहने चाहिए।
इसी प्रकार शुक्लपाक्षिक राशियुग्म जीवों के सक्रिया-अक्रिया की अपेक्षा अट्ठाइस उद्देशक कहने चाहिए।
मोट १६६ उद्देशक हुए । देखिए भग०श ४१ । उ ५ से ११६ । पृ०६३६ से १३८
.८८ सक्रिय जीव
__ भेद को विवक्षा के बिना मात्र क्रिया की अपेक्षा नरक, तिर्यच तथा देवगति के जीव नियम से सक्रिय होते है, मनुष्य सक्रिय-अक्रिय दोनों होते हैं, तेरहवें गुणस्थान तक के
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