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________________ क्रिया-कोश २४६ सकिरिया, अकिरिया। जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणणं सिमंति, जाव अंत करेंति ? हंता सिझति, जाव अंतं करति । जइ सलेस्सा कि सकिरिया, अकिरिया, गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया। जइ सकिरिया तेणेव भवग्गणणं सिमंति, जाव अंतं करेंति ? गोयमा ! अत्थेगच्या तेणेव भवम्गहणणं सिझति जाव अंतं करेंति, अत्थेगइया नो तेणेव भवग्गहणणं सिज्मति जाव अंतं करेंति। जइ आयअजसं एवजीवंति किं सलेस्सा, अलेस्सा ? गोयमा ! सलेस्सा, नो अलेस्सा । जइ सलेस्सा कि सकिरिया, अकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया । जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणणं सिझति, जाव अंतं करेंति ? नो इणढे सम? । (प्र१६ से २३) वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया । -भग• श ४१ । उ १ । प्र ११ से २३ । पृ० ६३५-३६ राशियुग्म में जो कृतयुग्मराशि नारकी आत्म-असंयम का आश्रय लेकर जीते है वे सलेशी होते हैं, असलेशी नहीं होते हैं तथा वे सलेशी नारकी सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं। वे सक्रिय नारकी उसी भव में सिद्ध नहीं होते है यावत् सर्व दुःखों का अन्त नहीं करते हैं। कृतयुग्म राशि असुरकुमारों के विषय में जैसा नारकी के विषय में कहा वसा ही निरवशेष कहना। इसी प्रकार यावत् तिर्य च पंचेन्द्रिय तक समझना । जो कृतयुग्म राशि रूप मनुष्य आत्मसंयम का आश्रय लेकर जीते हैं वे सलेशी भी होते हैं, अलेशी भी होते हैं। यदि वे अलेशी होते हैं तो वे सक्रिय नहीं हैं, अक्रिय होते हैं तथा वे अक्रिय मनुष्य उसी भव में सिद्ध होते हैं यावत् सर्व दुःखों का अन्त करते हैं। यदि वे सलेशी होते है तो वे सक्रिय हैं, अक्रिय नहीं होते हैं तथा उन सक्रिय जीवों में कितने ही उसी भव में सिद्ध होते हैं यावत् सर्व दुःखों का अन्त करते हैं तथा कितने ही उसो भव में सिद्ध नहीं होते हैं यावत् सर्व दुःखों का अन्त नहीं करते हैं। जो कृतयुग्मराशि मनुष्य आत्म-असंयम का आश्रय लेकर जीते हैं वे सलेशी होते हैं, अलेशी नहीं होते है तथा वे सलेशी मनुष्य सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते है तथा वे सक्रिय मनुष्य उसी भव में सिद्ध नहीं होते हैं यावत सर्व दुःखों का अन्त नहीं करते हैं । ८७.२ राशियुग्म त्र्योज जीव :'८७.३ राशियुग्म द्वापरयुग्म जीव :'८७.४ राशियुग्म कल्योज जीव : रासीजुम्मतेओयनेरइया xxx एवं चेव उहेसओ भाणियव्यो। xxx सेसं तं चेव जाव वेमाणिया। (उ२) "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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