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________________ क्रिया - कोश ८६३ महायुग्म त्रीन्द्रिय जीव : महायुग्म त्रीन्द्रिय जीव भी महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव की तरह सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं । महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव की तरह महायुग्म त्रीन्द्रिय जीव के भी बारह शतक तथा प्रत्येक शतक के ग्यारह उद्देशक कहने चाहिए तथा सभी में सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं - ऐसा कहना चाहिए । xxx एवं तेड़ दिए वि बारस सया कायव्वा बेई दियसयसरिसा । २४७ ८६४ महायुग्म चतुरिन्द्रिय जीव :-- महायुग्म चतुरिन्द्रय जीव भी महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव की तरह सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं । महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव की तरह महायुग्म चतुरिन्द्रिय जीव के भी बारह शतक तथा प्रत्येक शतक के ग्यारह उद्देशक कहने चाहिए तथा सभी में सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं—ऐसा कहना चाहिए । xxx चरिदिएहिं वि एवं चेव बारस सया कायव्वा । xxx । सेसं जहा as दिया | - भग० श ३८ । पृ० ६३१ ८६६ महायुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव ८६५ महायुग्म असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव : असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव भी महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव की तरह सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं । महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव की तरह महायुग्म असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव के बारह शतक तथा प्रत्येक शतक के ग्यारह उद्देशक कहने चाहिए तथा सभी में सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते है-ऐसा कहना चाहिए । जहा बेदियाणं तव असन्निसु वि बारस सया कायव्वा xxx । सेस जहा बेड़ दिया | -भग० श ३६ | पृ० ६३१ : भग० श ३७ १ ० ६३१ "Aho Shrutgyanam" कडजुम्मकडजुम्मसन्निपंचिदियाणं भंते ! xxx सकिरिया, नो अकिरिया । xxx एवं सोलससु वि जुम्मेसु भाणियव्वा जाव अनंतखुत्तो । xxx एवं एत्थ वि एक्कारस उद्दे सगा तहेव xxx -- भग० श ४० । श १ । उ १ । प्र १,२,५,६ | पृ० ६३१-३२
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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