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क्रिया-कोश
एवं एएस सोलससु महाजुम्मेसु एक्को गमओ । ( प्र १६ )
-भग० श ३५ | उ १ । प्र १०, १६ । ५० ६२६-२७ एवं एए ( णं कमेणं) एकारस उद्देसगा !
--भग० श ३५ । श १ ! उ ११ ।
कृतयुग्मकृतयग्म एकेन्द्रिय जीव सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं । सोलह महायरम एकेन्द्रिय जोब सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं।
इसी प्रकार ( २ ) प्रथम समय, (३) अप्रथम समय, (४) चरम समय, (५) अचरम समय, (६) प्रथम प्रथम समय, (७) प्रथम - अप्रथम समय, (८) प्रथम चरम समय, (६) प्रथमअचरम समय, (१०) चरम - चरम समय, (११) चरम - अचरम समय कृतयुग्मकृतयुग्म इत्यादि सोलह महायुग्मों के एकेन्द्रिय जीव सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं ।
इसी प्रकार सलेशी महायुग्म एकेन्द्रिय जीव भी सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं ।
इसी प्रकार भवसिद्धिक महायुग्म एकेन्द्रिय जीव भी सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं
होते है ।
इसी प्रकार सलेशी भवसिद्धिक महायुग्म एकेन्द्रिय जीव भी सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं ।
इसी प्रकार अभवसिद्धिक महायुग्म एकेन्द्रिय जीव तथा सलेशी अभवसिद्धिक महायुग्म एकेन्द्रिय जीव सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं (देखिए- भग० श ३५ सम्पूर्ण ) ।
६ । पृ० ६२६
इसी प्रकार
८६२ महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव :
महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव भी महायुग्म एकेन्द्रिय जीव की तरह सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं । महायुग्म एकेन्द्रिय जीव की तरह महायुग्म द्वीन्द्रिय जीव के भी बारह शतक तथा प्रत्येक शतक में ग्यारह उद्देशक कहने चाहिए तथा सभी में सक्रिय होते हैं, अक्रिय नहीं होते हैं—ऐसा कहना चाहिए ।
xxx एवं एए वि जहा एर्गिदियमहाजुम्मेसु एक्कारस उद्दे सगा तहेव भाणि -
यव्वा । xxx
xxx एवं एयाणि बारस बेह दियमहाजुम्मसयाणि भवंति ।
"Aho Shrutgyanam"
--भग० श ३६ । पृ० ६३०-३१