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________________ २०० क्रिया-कोश पृथ्वीकायिक जीव की तरह अप्कायिक जीव से अनन्तर मनुष्य भव में उत्पन्न होकर कोई एक जीव केवलज्ञान प्राप्त करता है तथा वह सिद्ध बुद्ध-मुक्त होता है—निर्वाण को प्राप्त करता है तथा सर्व दुःखों को अन्त करने वाली अन्तकिया करता है। पृथ्वीकाथिक जीव की तरह वनस्पतिकायिक जीव से अनन्तर मनुष्य में उत्पन्न होकर कोई एक जीव केवलज्ञान प्राप्त करता है तथा वह सिद्ध-बुद्ध-मुक्त होता है --- निर्वाण को प्राप्त करता है तथा सर्व दुःखों को अन्त करने वाली अन्तक्रिया करता है । ७३.६४ अग्निकाय से अनंतर मनुष्यभव में अंतक्रिया तेउक्काइए णं भंते ! तेउक्काइएहितो अणंतर उव्वट्टित्ता xxx। मणूसवाणमंतरजोइसियवेमाणिएसु-पुच्छा । गोयमा ! णो इण? समठे। –पण्ण० प २० ! सू १४३२-३३ ! पृ० ४६२ अग्निकाय से अनन्तर मनुष्यभव में कोई जीव उत्पन्न नहीं होता है अतः अग्निकाय से अनन्तरभव में उत्पन्न होकर कोई भी जीव अन्तक्रिया नहीं कर सकता है। '७३.६.५ वायुकाय से अनंतर मनुष्यभव में अन्तक्रिया :एवं जहेव तेउक्काइए निरंतरं एवं बाउकाइए ति । __ -पण्ण प २० । सू १४३४ । पृ० ४६२ अग्निकायिक जीव की तरह वायुकाय से अनम्तर मनुष्यभव में कोई जीव उत्पन्न नहीं होता है अतः वायुकाय से अनन्तरभव में उत्पन्न होकर कोई जीव अन्तक्रिया नहीं कर सकता है। •७३.६६ द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय से अनंतर मनुष्यभव में अन्तक्रिया : बेइदिए णं भंते ! बेईदिएहितो अणंतरं उब्वट्टित्ता नेरइएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहा पुढविक्काइए नवरं मणूसेसु जाव मणपज्नवनाणं उप्पाडेज्जा । एवं तेई दिया चउरिदिया वि जाव मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा। जेणं मणपज्जवनाणं उत्पाडेज्जा से णं केवलनाणं उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! नो इण? सम?। –पण्ण ० २० ! सू १४३५.६६ । पृ० ४६२ द्वीन्द्रिय जीव से अनन्तर मनुष्यभव से कोई जीव उत्पन्न होता है लेकिन केवलज्ञान उत्पन्न नहीं होता है अतः वह अनन्तर मनुष्यभव में सिद्ध-बुद्ध-मुक्त नहीं होता हैनिर्वाण को प्राप्त नहीं होता है तथा सर्व दुःखों को अन्त करने वालो अन्तक्रिया नहीं करता है। __ द्वीन्द्रिय जीव की तरह त्रीन्द्रिय जीव से अनन्तर मनुष्यभव से कोई जीव उत्पन्न होता है लेकिन केवलज्ञान उत्पन्न नहीं होता है अतः वह अनन्तर मनुष्य भव में सिद्ध-बुद्ध "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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