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क्रिया - कोश
एक समय में अन्तक्रिया करते हैं । वनस्पतिकायिक जीव अनंतर मनुष्यभव में एक से छ: तक, पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक जीव अनंतर मनुष्यभव में एक से दस तक, पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक स्त्री जीव अनन्तर मनुष्यभव में एक से दस तक, मनुष्य अनंतर मनुष्यभव में एक से दस तक मनुष्यणी अनंतर मनुष्यभव में एक से बीस तक, वाणव्यंतर देव अनंतर मनुष्यभव में एक से दस तक, वाणव्यंतर देवियाँ अनंतर मनुष्यभव में एक से पाँच तक, ज्योतिषी देव अनंतर मनुष्यभव में एक से दस तक, ज्योतिषी देवियाँ अनंतर मनुष्यभव में एक से बीस तक, वैमानिक देव अनंतर मनुष्य भव में एक से एक सौ आठ तक तथा वैमानिक देवियाँ अनंतर मनुष्यभव में एक से बीस तक एक समय में अंतक्रिया करते हैं ।
टोका 'अनंतरागया णं भंते! इत्यादि, नैरयिकभवादनन्तरं - अव्यवधानेन मनुष्य भवभागता अनन्तरागताः ।
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७३.६ एक भव से अनंतरभव में अंतक्रिया :
'७३'६'१ नारकभव से अनंतर मनुष्यभव में अंतक्रिया : --
नेरइए णं भंते! नेरह हिंतो अनंतर उव्वट्टित्ता मणुस्सेसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए णो उववज्जेज्जा । जे गं भंते ! उववज्जेज्जा सेणं केवलिन्नन्तं धम्मं लभेज्जा सवणयाए ? गोयमा ! जहा पंचिदियतिरिक्ख जोणिएसु जाव (अत्थेगइए लभेज्जा ! अत्थेगइए णो लभेज्जा । जेणं भंते! केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज्जा सवणयाए से णं केवलं (लिं) बोहिं बुज्झेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए बुज्भेजा, अत्थेगइए णो बुज्भेज्जा । जे णं भंते! केवलं बोहिं बुज्भेज्जा से णं सहेज्जा पत्तिएआ रोएज्जा ? गोयमा ! सदहेज्जा, पत्तिएज्जा, रोएज्जा । जे णं भंते । सद्दहेज्जा पतिएज्जा एज्जा से णं आभिणिबोहियनाणसुयनाणाई उप्पाडेज्जा ? हंता, गोयमा ! उपाडेज्जा । जेणं भंते! आभिणिबोहियनाणसुयनाणाई' उपाडेज्जा से णं संचाएज्जा सीलं वा वयं वा गुणं वा वेरमणं वा पच्चक्खाणं वा पोसहोववासं वा पडिवज्जित्तए ? गोयमा ! अत्थेगइए संचाएज्जा. अत्येगइए णो संचाएज्जा | जे णं भंते! संचाएज्जा सीलं वा जाव पोसहोववासं वा पडिवज्जित्तर से णं ओहिनाणं उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उप्पाडेज्जा अत्थेगइए गोउप्पाडेज्जा । ) जेणं भंते ! ओहिनाणं उप्पाडेज्जा से णं संचाएज्जा मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए १ गोयमा ! अत्थेगइए संचाएज्जा, अत्थेगइए णो संचाएज्जा । जे णं भंते ! संचाएज्जा मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्व३त्तए से णं मणपज्जवनाणं उत्पाडेज्जा ? गोयमा ! अत्थेiइए उप्पाडेज्जा, अत्थेगइए णो
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"Aho Shrutgyanam"