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क्रिया - कोश
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अवशेष जीव अर्थात् तिर्यच पंचेन्द्रिय, मनुष्य वाणव्यंतर ज्योतिषी वैमानिक जीव अनंतरभव में भी तथा परंपरभव में भी अन्तक्रिया करते हैं ।
७३५ दंडक के जीव अनंतरभव में कितने एक समय में अंतक्रिया करते हैं
अतरागया नेरइया एगसमये केवइया अंतकिरियं पकरेंति ? गोयमा ! जहन्नेणं एगो वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं दस । रयणप्पभापुढवीनेरख्या वि एवं चेव, जाव वालुयप्पभापुढवीनेरइया । अनंतरागया णं भंते! पंकप्पभापुढवीनेरड्या एगसमयेणं केवइया अंतकिरियं पकति ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा - उक्कोसेणं चत्तारि । अनंतरागया णं भंते! असुरकुमारा एगसमये केवइया अंतfकरियं पकति ? गोथमा ! जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं दस । अनंतरागया णं भंते! असुरकुमारीओ एगसमये केवइया अंतकिरियं पकरेंति ? गोमा ! जहनेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं पंच । एवं जहा असुरकुमारा सदेवीया तहा जाव थणियकुमारा ।
अनंतरागया णं भंते! पुढवीकाइया एगसमये केवइया अंतकिरियं पकति ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं चत्तारि । एवं आउक्काइया वि चत्तारि, वणरसइकाइया छच, पंचिदियतिरिक्खजोणिया दस, तिरिक्खजोणिणीओ दस, मणुस्सा दस, मणुस्सीओ वीसं, वाणमंतरा दस. वाणमंतरीओ पंच, जोइसिया दस, जोइसिणीओ वीसं, वैमाणिआ अट्टसयं, वेमाणिणीओ वीसं ।
- पण पद २० । सू १४१४-१६ । पृ० ४६० नारक जीव अनंतर मनुष्यभव में एक अथवा दो अथवा तीन अथवा उत्कृष्ट में दस जीव एक समय में अन्तक्रिया करते हैं । इसी प्रकार रत्नप्रभा - शर्कराप्रभा-बालुकाप्रभा पृथ्वी के नारकी अनन्तर मनुष्यभव में एक से लेकर दस तक एक समय में अन्तक्रिया करते हैं। पंकप्रभा पृथ्वी के नारकी अनन्तर मनुष्यभव में एक से लेकर चार तक एक समय में अन्तक्रिया करते हैं ।
असुरकुमार देव अनंतर मनुष्यभव में एक से लेकर दस तक एक समय में अन्तक्रिया करते हैं । असुरकुमार देवियाँ अनंतर मनुध्यभव में एक से लेकर पाँच तक एक समय में अन्तक्रिया करती है। असुरकुमार देवों की तरह स्तनितकुमार देवों तक जानना । असुरकुमार देवियों की तरह स्तनितकुमार देवियों तक जानना ।
पृथ्वीकायिक जीव अनंतर मनुष्यभव में एक से लेकर चार तक एक समय में अन्तक्रिया करते हैं । अप्कायिक जीव भी अनंतर मनुष्यभव में एक से लेकर चार तक
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