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क्रिया-कोश नारक जीव नारकभव में अंतक्रिया नहीं करता है। नारक जीव असुरकुमार भव में अंतक्रिया नहीं करता है, इसी प्रकार मनुष्यभव बाद वैमानिक भव तक सभी दंडकों में अंतक्रिया नहीं करता है। नारक जीव मनुष्यभव में आकर कोई एक नारक जीव अंतक्रिया करता है, कोई एक नहीं करता है ।
नारकी की तरह असुर कुमार से लेकर यावत् वैमानिक तक दंडक के सभी जीव मनुष्यभव बाद अन्य दंडकों में अन्तक्रिया नहीं करते हैं। मनुष्य भव में आकर कोई जीव अन्तक्रिया करता है, कोई नहीं करता है ।
.७३.४ अनन्तर-परंपर भव में अंतक्रिया और जीवदंडक :
नेरइया णं भंते ! किं अगंतरागया अंतकिरियं करेंति, परंपरागया अंतकिरियं करेंति? गोयमा! अणंतरागया वि अंतकिरियं करेंति परंपरागया वि अंतकिरियं करेंति । एवं रयणप्पभापुढवीनेरइया वि जाव पंकप्पभापुढवीनेरइया । धूमप्पभापुढवीनेरइया णं पुच्छा । गोयमा! णो अणंतरागया अंतकिरियं पकरेंति, परंपरागया अंतकिरियं पकरेंति, एवं जाव अहेसत्तमापुढवीनेरइया । असुरकमारा जाव थणियकुमारा पुढवीआउवणस्सइकाइया य अणंतरागया वि अंतकिरियं पकरेंति, परंपरागया वि अंतकिरियं पकरेंति। तेउवाउबेइंदियतेइंदियचउरिंदया णो अणंतरागया अंतकिरियं पकरेंति, परंपरागया अंतकिरियं पकरेंति। सेसा अणंतरागया वि अंतकिरियं पकरेंति, परंपरागया वि अंतकिरियं पकरेंति ।
-पण्ण । पद २० । सू १४१०-१३ । पृ० ४६० नारक जीव अनंतरभव में भी अन्तक्रिया करते हैं तथा परम्परभव में भी अन्तक्रिया करते हैं। इसी प्रकार रत्नप्रभा पृथ्वी के नारक जीव यावत् पंकप्रभा पृथ्वी के नारक जीव अनन्तरभव में भी अन्तक्रिया करते हैं तथा परंपरभव में भी अन्तक्रिया करते हैं । धूमप्रभा पृथ्वी के नारक जीव अनन्तरभव में अन्तक्रिया नहीं करते है परन्तु परंपरभव में अन्तक्रिया करते है। इसी प्रकार यावत् तमतमा पृथ्वी (सातवीं नारकी) के नारक जीव अनन्तर भव में अन्तक्रिया नहीं करते है लेकिन परम्परभव में अंतक्रिया करते हैं।
असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार देव, पृथ्वीकायिक जीव, अप्कायिक जीव, वनस्पतिकायिक जीव अनंतरभव में भी तथा परंपरभव में भी अन्तक्रिया करते हैं ।
अग्निकायिक जीव, वायुकायिक जीव-द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय जीव अनंतरभव में अन्तक्रिया नहीं करते हैं लेकिन परंपरभव में अन्तक्रिया करते हैं।
"Aho Shrutgyanam"