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________________ क्रिया - कोश १८६ परिस्पंदनात्मक क्रिया करता रहता है तब तक उसके कर्म का बन्ध होता रहता है और वह अन्तक्रिया नहीं कर सकता है । ऐर्यापथिक क्रिया करने वाला जीव भी --- यद्यपि उसकी सब क्रियाएँ सदनुष्ठान क्रिया-कर्म का छेदन करने वाली क्रिया हैं फिर भी ऐयपथिक कर्म का बन्ध होने के कारण-अन्तक्रिया नहीं कर सकता है । जो सकषायी जीव सावय क्रिया करते हैं उनके पापकर्म का बन्ध होता रहता है ; जो सकषायी जीव सदनुष्ठान क्रिया करते हैं उनके कर्म की निर्जरा होती है तथा पुण्य कर्म का बंध होता है । इस प्रकार सदनुष्ठान क्रिया चाहे वह सांपरायिक हो, चाहे ऐर्यापथिक हो -- निर्जरा की तथा पुण्य कर्म के बंध की हेतु होती हैं । ] -७१ सदनुष्ठानक्रिया -७११ सदनुष्ठान क्रिया के पयार्यवाची शब्द : १ सदनुष्ठान सदनुष्ठान क्रिया तस्यां कुशलः क्रियाकुशलः । - सूर्य ० श्रु २ । अ ४ | सू १ | टीका '२ संयमानुष्ठान -- मेधावी सर्वभावज्ञः क्रियां संयमानुष्ठानरूपां कर्मोच्छत्रीमनीदृशीमनन्यसदृशीमाख्यातवान् । -- आया० श्र १ । अ ६ । उ १ । गा १६ | टीका परसंबंध्यविचारितमनोवाक्कायवाक्यः सत्क्रियासु - सूय० श्रु २ । अ ४ । सू १ । टीका ४ सम्यगनुष्ठान - क्रियां सम्यगनुष्ठानरूपी प्रतिक्रमणप्रतिलेखनरूपां मोक्षमार्गसाधनभूतां ज्ञानसहितां रोचयति । ३ सत्क्रिया - यदि वा प्रवर्त्तते । उत्त० अ १८ । गा ३ | लक्ष्मीवल्लभटीका *५ धर्मानुष्ठान -- क्रियया धर्मानुष्ठानेन रुचिर्यस्य स क्रियारुचिः । - उत्त० अ २८ । गा १६ । लक्ष्मी वल्लभटीका '६ चरण - विद्या च ज्ञानं चरणं च क्रिया । xxx । असौ विद्या च चरणो मोक्षः । ज्ञानक्रियासाध्य इत्यर्थः । - सू० श्रु १ । अ १२ । गा ११ । टीका सर्वत्रोपयुक्तस्य निकषायस्य समीक्षिततयां यत्कर्म तदीर्यापथिकं सैवा क्रिया - सूय श्रु २ । अ २ । सु १४ । टीका -७ ऐर्यापथिकी- प्रवृत्तिनिमित्तं त्विदं मनोवाक्कायक्रियस्य या क्रिया ईर्यापथिकेत्युच्यते । " Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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