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________________ क्रिया - कोश १७१ जिस जीव के आदि की तीन क्रियाएँ होती हैं उनके पंचक की शेष दो क्रियाएँ (पारितापनिकी प्राणातिपातिको ) कदाचित होती है, कदाचित नहीं होती है। जिस जीव के पंचक की शेष की दो क्रियाएँ होती हैं उसके आदि की तीन कियाएँ अवश्य होती हैं । (ज) जस्स णं भंते ! जीवस्स पारियावणिया किरिया कजइ तस्स पाणाइवायकिरिया कज्जइ, जस्स पाणाश्वायकिरिया कज्जह तस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! जस्स णं जीवत्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तहस पाणाश्वायकिरिया सिय कज्ज, सिय नो कज्जइ, जस्स पुण पाणाश्वायकिरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया नियमा कज्जइ । - पृण्ण ० प २२ । सू १६१२ | पृ० ४८१ जिस जीव के पारितापनिकी क्रिया होती है उसके प्राणातिपातिकी किया कदाचित होती है, कदाचित नहीं होती है । लेकिन जिसके प्राणातिपातिकी क्रिया होती है उसके पारितानिको किया नियम से होती (झ) जस्स णं भंते! नेरइयस्स काइया किरिया कज्जव तरस अहिगरणिया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! जहेव जीवरस तहेव नेरइयरस वि, एवं निरंतर जाब वैमाणियरस | - पण्ण० प २२ / १६१२ | पृ० ४८१-८२ जैसे जीव के सम्बन्ध में कायिकी क्रियापंचक की पारस्परिक भजना- नियमा कही वैसे ही नारक जीवों से लेकर यावत् वैमानिक देवों तक दण्डक के सभी जीवों के लिये कहना ! टीका - इह कायिकी क्रिया औदारिकादिक्रियाश्रिता प्राणातिपातनिर्वर्त्तनसमर्था प्रतिविशिष्टा परिगृह्यते न या काचन कार्मणकायाश्रिता वा, तत आद्यानां तिसृणां क्रियाणां परस्परं नियमानियामकभावः, कथमिति चेत्, उच्यते, कायोऽधिकरणमपि भवतीत्युक्तं प्राक्, ततः कायस्याधिकरणत्वात् कायिक्यां सत्यामवश्यमाधिकरणिकी आधिकरणिक्यामवश्यं कायिकी, सा च प्रतिविशिष्टा कायिकी क्रिया प्रद्वेषमन्तरेण न भवति ततः प्राद्वेषिक्याऽपि सह परस्परमविनाभावः, प्रद्वेषोऽपि च प्रत्यक्षत एवोपलभ्भात्, काये स्फुटलिंग एव वक्ररुक्षत्वादेस्तद विनाभाविनः उक्तं च--- “क्षयति रुष्यतो ननु वक्रं स्निह्यति च रज्यतः पुंसः । औदारिकोऽपि देहो भाववशात् परिणमत्येवम् ॥” परितापनस्य प्राणातिपातस्य चाद्यक्रियात्रयसम्भवेऽप्यनियमः, कथमिति चेत्, उच्यते, यद्यसौ घात्यो मृगादिर्घातकेन धनुषा क्षिप्तेन बाणादिना विध्यते ततस्तस्य परितापनं मरणं वा भवति नान्यथा, ततो नियमाभावः, परितापनस्य प्राणाति "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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