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________________ १७० क्रिया-कोश गोयमा ! जस्स णं जीवस्स काइया किरिया कजइ तस्स अहिंगरणि (या) किरिया नियमा कजइ, जस्स आहिगरणि (या) किरिया कजइ तस्स वि काश्या किरिया नियमा कज्जा । -पण्ण° ५ २२ । सू १६०७ । पृ० ४८१ जिस जीव के कायिकी क्रिया होती है उसके अधिकरणी क्रिया नियम से होती है तथा जिस जीव के अधिकरणी क्रिया होती है उसके कायि की क्रिया नियम-निश्चय होती है। (ख) जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स पाओसिया किरिया कजइ, जस्स पाओसिया किरिया कजइ तस्स काइया किरिया कजइ ? गोयमा ! एवं चेव । __ --पण्ण ० प २२ । सू १६०८ । पृ० ४८१ जिस जीव के कायिकी क्रिया होती है उसके प्राद्वेषिकी क्रिया अवश्य होती है तथा जिसके प्रादेषिकी क्रिया होती है उस जीव के कायिकी क्रिया निश्चय होती है । (ग) जस्स णं भंते ! जीवस्स काझ्या किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ, जस्स पारियावणिया किरिया कजइ तस्स काइया किरिया कजइ ? गोयमा ! जस्स णं जीवस्स काझ्या किरिया कजइ तस्स पारियावणिया सिय कजइ, सिय नो कजइ, जस्स पुण पारियावणिया किरिया कजइ तस्स काइया किरिया नियमा कज्जइ। -पण्ण० प २२ । सू १६०६ । पृ० ४८१ जिस जीव के कायिकी क्रिया होती है उसके पारितापनिकी क्रिया कदाचित होती है, कदाचित नहीं होती है तथा जिस जीव के पारितापनिकी क्रिया होती है उसके कायिकी क्रिया निश्चय से होती है। (घ) एवं पाणाइवायकिरिया वि। --पपण प २२ । सू १६१० । पृ० ४८१ पारितापनिकी क्रिया की तरह प्राणातिपातिकी क्रिया को कहना। अर्थात जिसके कायिकी क्रिया होती है उसके प्राणातिपातिकी किया कदाचित् होती है, कदाचित नहीं होती है । लेकिन जिस जीव के प्राणातिपातिकी क्रिया होती है उसके कायिकी क्रिया निश्चय से होती है। (च) एवं आइल्लाओ परोप्परं नियमा तिन्नि कन्जंति । ___ ---पण्ण प २२ । सू १६११ । पृ०४८१ इस तरह प्रथम की तीन क्रियाएँ (कायिकी-अधिकरणी-प्राषिकी ) परस्पर में अवश्य होती है। (छ जस्स आइल्लाओ तिन्नि कन्जंति तस्स उवरिल्लाओ दोणि सिय कज्जति, सिय नो कन्जंति, जस्स उवरिल्लाओ दोण्णि कन्जंति, तस्स आइल्लाओ नियमा तिन्नि कन्जंति । पण्ण० प २२ । सू १६११ । पृ० ४८१ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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