SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 228
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६४ क्रिया-कोश ५:-जिन जीवों के शरीर से ताड़फल बना, उपजा : उन जीवों को पाँच क्रियाएँ होती हैं क्योंकि ताड़फल प्राणवध में साक्षात् कारण है । ६ :-जो जीव स्वाभाविक गुरुभार से गिरते हुए ताड़फल के उपग्राहक--उपकारक होते हैं उन जीवों को पाँच क्रियाएँ होती है क्योंकि स्वाभाविक गुरुभार से गिरते हुए जो ताड़फल के उपग्राहक जीव होते हैं वे वध में कारण हैं अतः प्राणातिपातिकी क्रिया होती है। ६६.१२ कायिकी क्रियापंचक और वृक्ष के मूल यावत् बीज को कपाता तथा नीचे गिराता हुआ पुरुष :-- पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा, पवाडेमाणे वा कइ किरिए ? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूलं पचालेइ वा, पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे ; जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए, जाव-बीए निव्वत्तिए, ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। अहे णं भंते ! से मूले अप्पणो गुरुययाए जाव-जीवियाओ ववरोवेइ तओ णं भंते ! से पुरिसे कइ किरिए ? गोयमा ! जावं च णं से मूले अप्पणो जाव -- ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुढे ; जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो कंदे निव्वत्तिए, जाव बीए निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव-चउहिं पुठ्ठा ; जेसिं पि य णं जीवा णं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव-पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ; जे वि य णं से जीवा अहे वीससाए पञ्चोवयमाणस्य उवग्गहे वटुंति ते वि णं जीवा काइयाए जाव-पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा! पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स कंदं पचालेमाणे वा, पवाडेमाणे वा कइ किरिए ? गोयमा ! तावं च णं से पुरिसे जाव-पंचहिं किरियाहिं पुढे; जेसि पि णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए, जाव--बीए निव्वत्तिए ते विणं जीवा जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। अहे णं भंते ! से कंदे अप्पणो गुरुययाए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तओ गं भंते ! से पुरिसे कइ किरिए ? जाव-चउहिं पुढे ; जेसि पिणं जीवा णं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए, खंधे निव्वत्तिए, जाव - चउहिं पुट्ठा : जेसिं पिणं जीवा णं सरीरेहितो कंदे "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy