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________________ क्रिया-कोश 安装类 कदाचित् चार क्रिया होती | मनुष्य जीव के परकीय वैक्रिय शरीर की अपेक्षा कदाचित् तीन, कदाचित् चार क्रिया होती है, कदाचित् वह अक्रिय होता है, ( प्रथम दंडक ) । औदारिक शरीरकी अपेक्षा चार दण्डक कहे गये हैं वैसे ही चार दण्डक वैकिय शरीर की अपेक्षा कहने चाहिए । लेकिन प्राणातिपातिको पाँचवीं किया नहीं कहनी चाहिए क्योंकि वैक्रिय शरीरी का प्राणातिपात नहीं होता है अतः जीव को वैक्रिय शरीर की अपेक्षा प्राणातिपातिकी क्रिया नहीं होती है । -६६'७ परकीय आहारक, तैजस, कार्मण शरीर की अपेक्षा जीव के कितनी क्रिया : एवं जहा वेडव्वियं तहा आहारगं वि, तेयगं वि, कम्मगं वि भाणियव्वं, एक को चत्तारि दंडगा भाणियत्र्वा जाव-वेमाणिया णं भंते ! कम्मगसरीरेहिंतो कई किरिया ? तिकिरिया वि, चउकिरिया वि । भग० श८६ प्र २७ । पृ० ५५३ जीव (एकवचन) के परकीय आहारक शरीर एकवचन ) की अपेक्षा, परकीय तेजस शरीर (एकवचन) की अपेक्षा, परकीय कार्मण शरीर ( एकवचन ) की अपेक्षा कदाचित तीन, कदाचित चार क्रिया होती है, कदाचित वह अक्रिय होता है । नारकी के परकीय आहारक शरीर की अपेक्षा, परकीय तेजस शरीर की अपेक्षा, परकीय कार्मण शरीर की अपेक्षा कदाचित तीन, कदाचित चार क्रिया होती है । इसी प्रकार मनुष्य बाद असुरकुमार यावत् वैमानिक देव के परकीय आहारक शरीर की अपेक्षा, परकीय तैजस शरीर की अपेक्षा, परकीय कार्मण शरीर की अपेक्षा कदाचित् तीन कदाचित् चार क्रिया होती है । मनुष्य जीव के परकीय आहारक शरीर की अपेक्षा, परकीय तैजस शरीर की अपेक्षा, परकीय कार्मण शरीर की अपेक्षा कदाचित तीन, कदाचित चार क्रिया होती है; कदाचित वह अक्रिय होता है ( प्रथम दंडक ) । अवशेष दूसरा दंडक ( एकवचन जीव--बहुवचन शरीर ), तीसरा दंडक (बहुवचन जीव - एकवचन शरीर ) तथा चौथा दंडक (बहुवचन जीव - बहुवचन शरीर ) वैक्रिय शरीर के दण्डकों के अनुसार कहना चाहिए। ( ६६४ ) विश्लेषण :--- टीकानुसारी - नारकी जीव अधोलोक में रहता है तथा आहारक शरीर वाला मनुष्य मनुष्य-लोक में रहता है अतः नारकी जीव किस प्रकार आहारक शरीर की अपेक्षा क्रियावाला हो सकता है। ? " नारकी जीव पूर्वभव में त्यक्त शरीरों के हाडकों आदि से आहारक शरीर के स्पर्शनापरितापना हो सकती है इसलिए अविरति भाव से नारकी जीव के आहारक शरीर की अपेक्षा तीन या चार क्रिया हो सकती है । " Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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