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क्रिया - कोश
एवं एक्केक्क जीवपए चत्तारि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा । एवं एयं दंडगसयं ।
सव्वे वि य जीवादीया दंडगा ।
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- पण्ण० प २२ । सू १५६६, ६७, ६६ ( २ ), १६००, १६०४ ।
०४८०-८१
दंडक १ :- नारकी जीव कोई एक जीव के प्रति कदाचित् तीन, कदाचित् चार, कदाचित् पाँच कायिकी आदि क्रिया करता है । नारकी जीव कोई एक नारकी के प्रति कदाचित् तीन, कदाचित् चार क्रिया करता है । नारकी जीव देव बाद दण्डक के अन्य जीव के प्रति कदाचित तीन, कदाचित् चार, कदाचित पाँच क्रिया करता है । नारकी जीव देवदण्डकों में कोई एक देव के प्रति कदाचित तीन, कदाचित चार क्रिया करता है । नारकी जीव कोई भी नारकी तथा देवः के प्रति प्राणातिपातिको पाँचवीं क्रिया नहीं कर सकता है ।
दंडक २ :- नारको जीव जीवों के प्रति तथा दण्डक के जीवों के प्रति उसी प्रकार किया करता है जैसा एकवचन जीव तथा दण्डक के जीव के प्रति ऊपर वर्णन किया है।
दंडक ३ :- नारकी जीव ( बहुवचन ) कोई एक जीव के प्रति कदाचित तीन, कदाचित चार, कदाचित पाँच कायिकी आदि क्रिया करते हैं । नारकी जीव कोई एक नारकी के प्रति कदाचित् तीन, कदाचित चार क्रिया करते हैं। नारकी जीव देव बाद दण्डक के अन्य जीव के प्रति कदाचित तीन, कदाचित् चार, कदाचित पाँच क्रिया करते हैं। नारकी जीव देवदंडकों में कोई एक देव के प्रति कदाचित् तीन, कदाचित् चार क्रिया करते हैं । नारकी जीव कोई भी नारकी तथा देव के प्रति प्राणातिपातिकी पाँचवीं क्रिया नहीं कर सकते हैं ।
दंडक ४ : --- नारकी जीव ( बहुवचन ) जीवों के प्रति कदाचित् तीन, कदाचित् चार, कदाचित् पाँच कायिको आदि क्रिया करते हैं; नारकी जीव औदारिक शरीर वाले जीवों के प्रति कदाचित तीन, कदाचित चार कदाचित पाँच क्रिया करते हैं । नारकी जीव देवों के प्रति कदाचित तीन, कदाचित चार क्रिया करते हैं ।
असुरकुमार देव कोई एक जीव के प्रति उसी प्रकार क्रिया करता है जैसा नारकी जीव करता है । असुरकुमार देव के सम्बन्ध में नारकी जीव की तरह चार दण्डक कहने चाहिए ।
नारकी की तरह मनुष्य बाद प्रत्येक दंडक के जीव के सम्बन्ध में चार-चार दंडक कहने चाहिए।
मनुष्य जीव के सम्बन्ध में कदाचित तीन, कदाचित् चार, कदाचित पाँच किया करता है तथा अक्रिय होता है ऐसे पाठ कहने चाहिए ।
"Aho Shrutgyanam"