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क्रिया-कोश जीवा णं भंते ! नेरइएहितो कइ किरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि, चर. किरिया वि, अकिरिया वि। असुरकुमारेहितो वि एवं चेव जाव वेमाणिएहितो, ओरालियसरीरेहिंतो जहा जीवेहितो ।
- पपण. प २२। सू१५६२ से १५६५ | पृ० ४८० जीव अन्य एक जीव के प्रति कभी तीन, कभी चार, कभी पाँच क्रियाएँ करते हैं, कभी अक्रिय रहते हैं ! जीव एक नारकी के प्रति, एक देव के प्रति कभी तीन, कभी चार क्रियाएँ करते हैं कभी अक्रिय रहते हैं । दण्डक के शेष जीवों में एक जीव के प्रति कभी तीन, कभी चार, कभी पाँच क्रियाएँ करते हैं, कभी अक्रिय रहते हैं। . जीव जीवों के प्रति कभी तीन, कभी चार, कभी पाँच क्रियाएँ करते है, कभी अक्रिय रहते है। जीव नारकियों और देवों के प्रति कभी तीन, कभी चार क्रियाएँ करते है, कभी अक्रिय रहते हैं। जीव औदारिक शरीरी जीवों के प्रति कभी तीन, कभी चार, कभी पाँच क्रियाएँ करते हैं, कभी अक्रिय रहते हैं ।
'६६४ दण्डक के जीव का औधिक जीव के तथा दण्डक के जीव के प्रति कायिकीपंचक
की क्रिया :---
नेरइए णं भंते ! जीवाओ कइ किरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंच किरिए । नेरइए णं भंते ! नेरश्याओ कइ किरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए। एवं जाव वेमाणिएहितो, नवरं नेरइयस्स नेरइएहितो देवेहिंतो य पंचमा किरिया नस्थि ।
नेरड्या णं भंते ! जीवाओकइ किरिया? गोयमा ! सिय तिकिरिया, सिय चउकिरिया,सिय पंचकिरिया। एवं जाव वेमाणियाओ, नवरं नेरइयाओ देवाओ य पंचमा किरिया नथि । नेरइया णं भंते ! जीवेहितो कइ किरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि। नेरक्या णं भंते ! नेरवाहितो कइ किरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, एवं जाव वेमाणिएहितो, नवरं ओरालियसरीरेहितो जहा जीवेहितो।। __असुरकुमारणं भंतं ! जीवाओ कइ किरिए ? गोयमा ! जहेव नेरइएणं चत्तारि दंडगा तहेव असुरकुमारे वि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा । एवं (च) उवउजिऊणं भावेयन्त्रं ति - जीवे मणूसे य अकिरिए वुच्चइ, सेसा अकिरिया न वुच्चंति, सव्वजीवा ओरालियसरीरेहिंतो पंचकिरिया, नेरक्य-देवेहितो य पंचकिरिया ण वुच्चंति।
"Aho Shrutgyanam"